Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी जमीन पर हलचल तेज हो गई है। इंडिया महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा महज एक अभियान नहीं बल्कि चुनावी रणनीति का हिस्सा बनती दिख रही है। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव न केवल जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं, बल्कि अपने वोट बैंक को मजबूत करने की कवायद भी कर रहे हैं।
शुक्रवार को राहुल गांधी का काफिला मुंगेर के जमालपुर पहुंचा, जहां उनके साथ तेजस्वी यादव और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी मौजूद रहे। इस दौरान दोनों नेताओं ने खानकाह रहमानी के मौलाना से मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 20 मिनट तक चली और इसे लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। महागठबंधन का यह कदम साफ तौर पर मुस्लिम वोटरों को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
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दिलचस्प बात यह है कि यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यक्रम में गुरुवार को बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग नाराज हो गए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीएम नीतीश ने मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार कर दिया था, जिससे वहां मौजूद लोगों में असंतोष पनप गया। इसी पृष्ठभूमि में राहुल और तेजस्वी की यह मुलाकात विपक्ष को फायदा पहुंचा सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की सियासत में मुस्लिम वोट हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। अगर महागठबंधन इस समुदाय का भरोसा जीतने में सफल होता है, तो चुनावी गणित में बड़ा बदलाव संभव है। नीतीश कुमार की नाराजगी और विपक्ष की सक्रियता के बीच सीधा असर आगामी चुनावी समीकरणों पर देखने को मिल सकता है।
मुंगेर और आसपास के मुस्लिम व यादव बाहुल्य इलाकों में जिस तरह से राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का स्वागत हुआ, उससे साफ है कि महागठबंधन की इस यात्रा ने जमीन पर असर डालना शुरू कर दिया है। वहीं, एनडीए के लिए चुनौती यह होगी कि वह इस नाराजगी को कैसे संभाले और अपने वोट बैंक को बरकरार रखे।