नई दिल्ली/इस्लामाबाद : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि यह 50 वर्षों में पहली बार हुआ है जब सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान तक नहीं पहुंच रहा। इस फैसले को इंडस वाटर्स ट्रीटी (1960) के तहत एक अभूतपूर्व घटनाक्रम माना जा रहा है। साथ ही अटारी-वाघा बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है। पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह एक और झटका माना जा रहा है।
भारत द्वारा किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं पर काम तेज किए जाने से पाकिस्तान की जल उपलब्धता को लेकर चिंताएं गहरा गई हैं।
पात्रा ने कहा, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते,” जो इस कूटनीतिक संदेश को स्पष्ट करता है कि भारत अब पहले जैसी रियायतें देने के मूड में नहीं है।
वहीं, पाकिस्तान इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों , जैसे स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में उठाने की योजना बना रहा है।
सिंधु नदी के पानी का प्रवाह रोकना और अटारी-वाघा बॉर्डर का बंद होना केवल कूटनीतिक कदम नहीं, बल्कि एक गहरा संदेश भी है कि भारत अब अपने सुरक्षा हितों से समझौता नहीं करेगा। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश इस संकट को वार्ता के माध्यम से सुलझा पाते हैं या तनाव और बढ़ता है।