दिल्ली में नई सरकार बनने से पहले सबसे बड़ा सवाल यही है कि भाजपा किसे मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट करेगी? चुनाव में बिना सीएम फेस के उतरने की भाजपा की रणनीति सफल रही, लेकिन अब नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। चुनाव में अरविंद केजरीवाल को आम आदमी पार्टी ने बतौर मुख्यमंत्री चेहरा पेश किया था, लेकिन न सिर्फ उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा, बल्कि खुद केजरीवाल भी अपनी सीट नहीं बचा सके। ऐसे में भाजपा किसे दिल्ली की कमान सौंपेगी, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।
प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे, ‘जाइंट किलर’ की छवि बनी
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में प्रवेश वर्मा का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। उन्होंने इस चुनाव में ‘जाइंट किलर’ की छवि बनाई है और भाजपा के लिए एक मजबूत चेहरा बनकर उभरे हैं। दिल्ली की राजनीति में उनका प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और उन्हें मजबूत नेतृत्व क्षमता वाला नेता माना जाता है। हालांकि, भाजपा की रणनीति को देखते हुए यह कहना जल्दबाजी होगी कि वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे, क्योंकि पार्टी कई और समीकरणों को ध्यान में रखकर फैसला कर सकती है।
क्या दिल्ली को मिलेगा पंजाबी मुख्यमंत्री?
दिल्ली में बड़ी संख्या में पंजाबी और सिख समुदाय के लोग रहते हैं, जो किसी भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। भाजपा दिल्ली के सीएम के रूप में किसी पंजाबी चेहरे को आगे कर सकती है। इसकी एक बड़ी वजह पंजाब की राजनीति भी है। पंजाब में भाजपा शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ती रही है, लेकिन उसे अब तक खास सफलता नहीं मिली। ऐसे में दिल्ली में किसी पंजाबी नेता को सीएम बनाकर भाजपा पंजाब में भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर सकती है। अगर भाजपा यह दांव खेलती है, तो यह पंजाब में भाजपा के लिए नए राजनीतिक अवसर पैदा कर सकता है।
पूर्वांचली नेता भी हो सकते हैं रेस में, बिहार चुनाव से है कनेक्शन
एक और संभावना यह भी है कि भाजपा दिल्ली में किसी पूर्वांचली नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है। दिल्ली में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए लाखों लोग रहते हैं, जिनकी राजनीतिक पकड़ काफी मजबूत है। बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा पूर्वांचलियों को लुभाने के लिए दिल्ली में किसी पूर्वांचली नेता को सीएम की कुर्सी सौंप सकती है। हालांकि, बिहार और पंजाब की राजनीति में एक बड़ा अंतर है। बिहार में भाजपा अकेले चुनाव नहीं लड़ती, बल्कि उसे जदयू और अन्य सहयोगी दलों का समर्थन प्राप्त होता है। वहीं, पंजाब में भाजपा को अपने दम पर चुनाव लड़ना पड़ता है।
भाजपा की रणनीति पर टिकी सबकी निगाहें
दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह सवाल हर किसी के दिमाग में है। भाजपा ने अब तक बिना चेहरे के चुनाव लड़ने की रणनीति अपनाई और इसमें सफलता भी पाई। लेकिन अब जब सरकार बनाने की बारी है, तो पार्टी को एक ऐसा चेहरा चुनना होगा जो राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से फायदेमंद साबित हो।
- क्या भाजपा प्रवेश वर्मा जैसे मजबूत नेता पर भरोसा करेगी?
- या फिर पंजाबी समुदाय को साधने के लिए किसी पंजाबी चेहरे को सीएम बनाएगी?
- या फिर बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए किसी पूर्वांचली नेता को मौका मिलेगा?
इन सभी सवालों का जवाब जल्द ही मिल सकता है, लेकिन इतना तय है कि भाजपा का यह फैसला दिल्ली और अन्य राज्यों की राजनीति पर भी गहरा असर डालेगा।