पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में भारतीय सेना की कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और फिर पाकिस्तान की गोलाबारी से दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ता ही जा रहा था। तभी 10 मई की शाम क़रीब पांच बजे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीजफ़ायर पर सहमति जताई है।”
भारत की ओर से भी विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी दी कि भारत और पाकिस्तान ने एलओसी और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में फायरिंग रोकने पर सहमति जताई है, और यह युद्धविराम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। ऐसे में चार दिन के भीतर जब सीज़फ़ायर हुआ तो इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर भी हो रही है। कांग्रेस, कांग्रेस समर्थक और कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स इस मौक़े पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का ज़िक्र कर रहे हैं।
कांग्रेस ने ट्वीट में लिखा, ”ये थी हिम्मत. यही था भारत के लिए डटकर खड़ा होना और देश की गरिमा के साथ कोई समझौता ना करना।” कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा ‘इंदिरा गांधी होना आसान नहीं’ कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने लिखा- यूं ही कोई इंदिरा गांधी नहीं बन जाता।
डोनाल्ड ट्रंप ने रुकवा दी वार.. भारत-पाकिस्तान में होगा सीजफायर! विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी
कांग्रेस के आधिकारिक एक्स हैंडल से इंदिरा गांधी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की तस्वीर साझा की गई है। इस तस्वीर के साथ कांग्रेस ने लिखा है, ”इंदिरा गांधी ने निक्सन से कहा था- हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी है। हमारे पास इच्छाशक्ति और संसाधन हैं कि हम हर अत्याचार का सामना कर सकते हैं। वो वक़्त चला गया जब कोई देश तीन-चार हज़ार मील दूर बैठकर ये आदेश दे कि भारतीय उसकी मर्ज़ी के हिसाब से चलें।”
सोशल मीडिया पर हंसराज मीणा ने लिखा, ”अमेरिका की धमकियाँ थीं। ज़मीनी हालात मुश्किल थे। मगर इंदिरा गांधी नहीं डरीं। 1971 में उन्होंने न सिर्फ़ भारत की गरिमा बचाई, बल्कि पाकिस्तान के दो टुकड़े करके एक नया देश बनवाकर इतिहास रच दिया। वो सिर्फ़ प्रधानमंत्री नहीं थीं, एक जज़्बा थीं, एक इरादा थीं।”
वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने लिखा, ”जब तक तोड़ा नहीं, तब तक छोड़ा नहीं।” पत्रकार रोहिणी सिंह ने लिखा, ”चुनाव लड़ने और युद्ध लड़ने में फर्क होता है। यूं ही कोई इंदिरा गांधी नहीं बन जाता।”
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक ख़त सोशल मीडिया पर साझा कर लिखा, ”12 दिसंबर 1971 को इंदिरा गांधी ने ये ख़त अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन को लिखा था. चार दिन बाद पाकिस्तान ने सरेंडर कर दिया।” वहीं यूजर वेद प्रकाश राय एक्स पर विडिओ साझा करते हुए पोस्ट में लिखा-चुनौतियों को चीर कर आगे बढ़ी, वो इंदिरा गांधी थी जिसने देश को नई राह दी।