नई दिल्ली : सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी मेटा ने अपने दो सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है, जिसने यूजर्स को हैरानी में डाल दिया है। अब तक मुफ्त में इस्तेमाल होने वाले इन प्लेटफॉर्म्स को चलाने के लिए यूजर्स को पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। इस खबर ने सोशल मीडिया यूजर्स के बीच हलचल मचा दी है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा ने हाल ही में यूरोप में एक सब्सक्रिप्शन मॉडल शुरू किया था, जिसके तहत यूजर्स को बिना विज्ञापनों (एड-फ्री) अनुभव के लिए पैसे देने पड़ते हैं। अब खबर है कि कंपनी इस मॉडल को भारत सहित अन्य देशों में भी लागू करने की योजना बना रही है। इसका मतलब है कि अगर आप फेसबुक और इंस्टाग्राम को बिना विज्ञापनों के इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आपको एक मासिक शुल्क देना होगा।
क्या है मेटा का नया मॉडल?
मेटा ने पिछले साल नवंबर 2023 में यूरोप, यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (EEA) और स्विट्जरलैंड में एक नई सब्सक्रिप्शन सर्विस शुरू की थी। इसके तहत यूजर्स को दो विकल्प दिए गए थे- या तो वे मुफ्त में प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें, जिसमें उन्हें वैयक्तिकृत विज्ञापन (पर्सनलाइज्ड एड्स) देखने होंगे, या फिर एक सब्सक्रिप्शन लेकर बिना विज्ञापनों के अनुभव का आनंद लें। इस सर्विस को यूरोपीय नियमों, जैसे GDPR (जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन) और DMA (डिजिटल मार्केट्स एक्ट) के अनुपालन के लिए शुरू किया गया था।रिपोर्ट्स के अनुसार, मेटा अब इस मॉडल को ग्लोबल स्तर पर लागू करने की तैयारी कर रही है। भारत में भी जल्द ही यूजर्स को यह विकल्प दिया जा सकता है। हालांकि, अभी तक मेटा की ओर से भारत में सब्सक्रिप्शन की कीमत को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन अमेरिका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में इसकी कीमत 11.99 डॉलर (वेबसाइट के जरिए) और 14.99 डॉलर (मोबाइल ऐप के जरिए) प्रति माह है।
यूजर्स पर क्या होगा असर?
फेसबुक और इंस्टाग्राम भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में से एक हैं। ये प्लेटफॉर्म्स न सिर्फ दोस्तों और परिवार से जुड़ने का जरिया हैं, बल्कि छोटे-बड़े व्यवसायों के लिए भी एक बड़ा मार्केटिंग टूल बन चुके हैं। ऐसे में अगर मेटा सब्सक्रिप्शन मॉडल को अनिवार्य करता है, तो इसका सीधा असर यूजर्स और व्यवसायों पर पड़ सकता है।
आम यूजर्स:
जो लोग मुफ्त में इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें ज्यादा विज्ञापन देखने पड़ सकते हैं। वहीं, बिना विज्ञापनों के अनुभव के लिए उन्हें अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है।
व्यवसाय और ब्रांड्स:
कई छोटे व्यवसाय मुफ्त में फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को प्रमोट करते हैं। सब्सक्रिप्शन मॉडल लागू होने से उनकी पहुंच और मार्केटिंग रणनीति पर असर पड़ सकता है।
मेटा का पक्ष
मेटा का कहना है कि वह हमेशा से एक विज्ञापन-आधारित डिजिटल बिजनेस मॉडल पर काम करती रही है, क्योंकि यह सभी के लिए एक समावेशी इंटरनेट की नींव है। कंपनी का मानना है कि विज्ञापन-मुक्त अनुभव देने के लिए सब्सक्रिप्शन मॉडल एक वैध और कानूनी विकल्प है, जैसा कि यूरोपीय संघ की अदालत ने भी माना है। मेटा ने यह भी कहा कि वह यूजर्स को बेहतर अनुभव देने के लिए लगातार नए विकल्प लाने पर काम कर रही है।
यूजर्स की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ यूजर्स का कहना है कि वे मुफ्त में प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, भले ही उन्हें विज्ञापन देखने पड़ें। वहीं, कुछ यूजर्स का मानना है कि अगर कीमत सही होगी, तो वे सब्सक्रिप्शन लेने के लिए तैयार हैं।एक यूजर ने लिखा, “अगर विज्ञापन कम होंगे और अनुभव बेहतर होगा, तो मैं पैसे देने को तैयार हूं। लेकिन कीमत ज्यादा नहीं होनी चाहिए।” वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, “फेसबुक और इंस्टाग्राम पहले से ही हमारा डेटा इस्तेमाल करके पैसे कमा रहे हैं, अब इसके लिए अलग से चार्ज करना ठीक नहीं है।”
आगे क्या?
फिलहाल, मेटा ने भारत में इस मॉडल को लागू करने की आधिकारिक तारीख की घोषणा नहीं की है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी जल्द ही इसकी टेस्टिंग शुरू कर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय यूजर्स इस बदलाव को कैसे स्वीकार करते हैं।