उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग से रेस्क्यू किए गए पांचो बिहारी मजदूरों को एयरलिफ्ट कर पटना लाया गया।इस अवसर पर उनके परिजनों के साथ श्रम संसाधन मंत्री सुरेन्द्र राम ने स्वयं पटना एअरपोर्ट पहुंचकर पुष्पगुच्छों के साथ उनका स्वागत किया। ऐसी विकत स्थिति से उबरकर वापस अपने परिजनों के बीच घर लौटना उनके लिए वरदान से कम नहीं लग रहा। श्रम मंत्री की अगुआई तथा अपने बच्चों को वापिस सकुशल व स्वस्थ देख परिजन फूले नहीं समां रहे। बता दें कि बिहार सरकार अपने खर्च पर अपने प्रदेश के लालों को हवाई रास्ते से बिहार वापस लायी है।
बिहार के 5 मजदूरों सहित 41 मजदूरों को मिला नवजीवन
उत्तराखंड के सिल्क्यारा टनल में तकरीबन 400 घंटे से ऊपर फंसे मजदूरों को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाल लिया गया है। रेस्क्यु टीम की दृढ़ इच्छाशक्ति और सूझबूझ ने अंततः अपना रंग दिखा ही दिया और सभी 41 श्रमिकों का सकुशल अपने अपने घर वापस जाना संभव हो पाया। इसी क्रम में बिहार के पांच मजदूर भी अपने घरों को लौट आए हैं। इनमे मुजफ्फरपुर के दीपक कुमार ,सारण के सोनू कुमार,रोहतास के सुनील कुमार,भोजपुर के सबाह अहमद तथा बांका के वीरेंद्र किशु शामिल हैं। एअरपोर्ट पहुंचते ही श्रम मंत्री अशोक राम ने उनका स्वागत फूलमाला पहनाकर तथा पुष्पगुच्छ भेंट कर किया। मजदूर सोनू कुमार ने बताया कि रेस्क्यु टीम को देखते हीं हमारी जान में जान आयी। ऐसा लगा जैसे फरिस्ता हमारी जान बचाने को आया है। वहीं वीरेंद्र किशु ने बताया कि शुरू के 24 घंटे बहुत कठिनाई हुई, फिर रेस्क्यु टीम द्वारा रसद-पानी पहुँचाने के बाद भोजन-भाजन को कोई तकलीफ ना हुई। भोजपुर के सबाह के अनुसार मुख्य रूप से नए मजदूर डरे हुए थे, जिनका अनुभवी मजदूरों ने बार बार ढाढस बंधाया। मजदूरों की सूझबूझ और वैज्ञानिक सोच ने उन मुश्किल दिनों को काफी आसान बनाया। मजदूरों के अनुसार शौच केलिए वे गड्ढा खोदकर सो़कपीट जैसी व्यवस्था में निवृत हुआ करते थे ताकि बीमारी ना फैले।
श्रम मंत्री ने की एनडीआरएफ व एसडीआरएफमजदूरों के अथक प्रयास तथा बिहारी मजदूरों के साहस की तारीफ की
मंत्री राम ने बिहारी मजदूरों की बडाई में कशीदे गढते हुए कहा कि हमारे लड़के किसी भी परिस्थिति को झेल पाने और उनसे उबड़ पाने में सदा सक्षम हैं। साथ ही साथ केंद्र एवं राज्य की डिजास्टर टीमों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सलाम है उन सिपाहियों को जिन्होंने जान पर खेल मजदूरों को इस मुश्कील से उबाड़ा है।
ज्ञात हो कि एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ की जांबाजी,जूनून तथा जुझारूपन ने आखिरकार श्रमिकों को बीते मंगलवार की रात जीवित निकाल हीं लिया। अमेरिका से लायी गई ऑगर मशीन का ब्लेड खुदाई के दौरान 7 मीटर पहले हीं टूट कर ध्वस्त हो गया। इसके बाद प्लाज्मा कटर से मलबों को साफकर रैट माईनिंग द्वारा मैनुअली 7 मीटर सुरंग खोदकर मजदूरों तक पहुंच बनायी गई। खतरे को देखते हुए 7 मीटर के पाईप को डालकर फिर मजदूरों को बाहर निकाला गया। मौके पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी तथा केंद्रीय मंत्री वी के सिंह भी मौजूद थे। उन्हें निकालने के बाद सर्वप्रथम चिनियाली साट अस्पताल में शुरूआती जांच हेतु भेजा गया ,फिर वायुसेना के रेस्क्यू चौपर चिनूक द्वारा उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया जहां उनकी बज़ाबत जांच तथा इलाज कर मनोचिकित्सीय काउंसेलिंग कराई गयी। इलाज के बाद मजदूरों के घरवापसी केलिए अधिकारीगणों की टीम भी बनायी गई। अधिकारियों ने संबंधित राज्य सरकारों से संपर्क कर मजदूरों के जाने की व्यवस्था कराई।