बांग्लादेश में हुए तख्तापलट की आग एक दिन में नहीं बल्कि एक महीने से सुलग रही थी। पीएम शेख हसीना द्वारा आरक्षण के खिलाफ की गयी कार्रवाई ने आज बांग्लादेश में आरजकता की ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि उन्हें खुद अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़कर भारत आना पड़ा है। ऐसे में आइए जानते है कब और कैसे उठी ये आग।
दरअसल, बांग्लादेश में मुख्य रूप से इस बवाल के पीछे के कारण तीन छात्र है। बताया जा रहा कि ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले तीन छात्र आसिफ मेहमूद, नाहिद इस्लाम और अबू बकर ने इस आग को उठाया है। मिली जानकारी के अनुसार तीनों को ही 19 जुलाई को अगवा कर लिया गया था। इसके बाद उनसे कड़ी पूछताछ की गई और उत्पीड़न भी हुआ। वहीं, 26 जुलाई को तीनों को छोड़ दिया गया। इसके बाद तीनों ने आंदोलन को फिर से आगे बढ़ाया और करीब 10 दिन के अंदर ही तख्तापलट हो गया। अब कमान सेना के हाथों में हैं। अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज है, जिसमें इन तीनों छात्र नेताओं की भी अहम भूमिका है।
वहीं, आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे नाहिद इस्लाम की बात करें तो वह ढाका यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के छात्र हैं। वह उस आंदोलन के नेता हैं, जिसका नाम स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट है। SADM के बैनर तले छात्रों ने मांग की थी कि बांग्लादेश में कोटा सिस्टम में बदलाव किया जाए। इसके तहत 30 फीसदी आरक्षण बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिजनों को मिलता है।