नेपाल के सिन्धुली में भीषण भूस्खलन के बाद दो बसें त्रिशुली नदी में गिर गईं। इस हादसे में 65 से अधिक यात्री लापता हैं। अब तक केवल 11 शव ही बरामद हो सके हैं। नेपाल सरकार ने लापता बसों और यात्रियों की तलाश के लिए भारत और बांग्लादेश से मदद मांगी है।
नेपाल सरकार ने लापता बसों और यात्रियों को खोजने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। ‘इको साउंडर’ नामक तकनीक से नदी के अंदर वस्तुओं का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। यह तकनीक पानी के अंदर की वस्तुओं के आकार के बारे में जानकारी देती है, भले ही पानी कितना ही गंदा हो।
नेपाली सेना, पुलिस और गोताखोरों की टीमें लगातार खोजबीन में जुटी हैं। साथ ही ड्रोन, कैमरे और अन्य उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि नई तकनीक से लापता बसों और यात्रियों को खोजने में मदद मिलेगी।
आपको बता दें कि शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े तीन बजे नारायणगढ़-मुग्लिन सड़क खंड के सिमलताल में हुए भूस्खलन के कारण दो बसें बह कर त्रिशूली नदी में गिर गयीं। उसी दिन सुबह से उस बस और बस में सवार करीब 65 यात्रियों की तलाश जारी है। अभी तक मात्र 11 शव ही मिल सके हैं। अन्य यात्री और बस नहीं मिली है।
नेपाली सेना और नेपाल पुलिस की टीम सशस्त्र पुलिस के गोताखोरों के साथ हवाई ड्रोन, पानी के ड्रोन, चुम्बक, दूरबीन, टेलिस्कोप, लंगर के हुक और बांस के डंडे जैसे उपकरणों के साथ तलाश कर रही है।
आपदा प्रबंधन विभाग के एसपी जनक पुरी ने बताया कि इको साउंडर नदी में वस्तुओं के आकार की जानकारी देता है, भले ही पानी गंदा क्यों न हो। एसपी श्री पुरी ने बताया कि यह सब कुछ बता देता है चाहे वस्तु गोल हो, आयताकार हो या त्रिभुजाकार