ब्रिटेन जिसने भारत पर 200 सालों तक राज किया, उसके नए प्रधानमंत्री भारतीय मूल के ऋषि सुनक होंगे। बीते दिन सोमवार को ऋषि सुनक ब्रिटेन कंजर्वेटिव पार्टी के संसदीय दल का नेता चुना गया था। आज यानि 25 अक्टूबर को वो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण करेंगे। आज हम आपको ऋषि सुनक के के शुरुआती जीवन से ब्रिटेन के प्रधामंत्री बनने तक के सफर के बारे में बताएँगे।
सुनक का शुरूआती जीवन
ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को इंग्लैंड के सौथैम्प्टन शहर में हुआ था। उनके माता-पिता दोनों भारतीये मूल के थे। सुनक के पिता पेशे से डॉक्टर थे और माँ दवाखाना चलाती थी। अपने तीनों भाई बहनों में सुनक सबसे से बड़े थे। ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के विंचेस्टर कॉलेज से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की। इसके आगे की पढाई के लिए उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया , यहाँ से उन्होंने फिलोसॉफी और इकॉनोमिक्स की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी एमबीए किया।
बैंकर के रूप में करियर की शुरुआत
राजनीति में आने से पहले ऋषि सुनक ने बैंकर के रूप में अपनी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश और फिर हेज फंड में काम किया। इसके बाद अपनी एक ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कंपनी की स्थापना की। ये कंपनी ब्रिटेन के छोटे कारोबारों में इन्वेस्ट करने का काम करती थी।
राजनीति में प्रवेश
साल 2015 में ऋषि सुनक ब्रिटेन के रिचमंड से कंजर्वेटिव पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा और सांसद बने। साल 2018 में जब थेरेसा रे ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थी उस समय सुनक को स्थानीय सरकार के लिए राज्य के संसदीय अवर सचिव बनाया गया। साल 2019 में बोरिस जॉनसन की सरकार में वो ब्रिटेन के वित्त मंत्री बने। कोरोना काल के दौरान वित मंत्री रहते हुए उन्होंने इस तरह की नीतियां बनाई जिससे ब्रिटेन को आर्थिक संकट झेलना नहीं पड़ा। इस दौरान उनके किए गए कार्यों को लेकर लोगों में उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ी।
ऐसे बने प्रधानमंत्री
ऋषि सुनक की लोकप्रियता लगातार लोगों के बीच बढ़ाती चली गई। आर्थिक मोर्चे पर विफल रहने के कारण ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ट्रस ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद से सुनक के प्रधानमंत्री बनाए जाने की चर्चाएं तेज हो गई थी। बाद में सुनक को कंजर्वेटिव पार्टी के संसदीय दल के नेता चुना गया। उन्हें 200 सांसदों का समर्थन मिला। वहीं उनकी प्रतिद्वंदी पेनी मॉरडॉन्ट को 26 सांसदों का समर्थन मिला।