भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले साल 14 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में हिंदू मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। मंदिर का निर्माण कर रही संस्था बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था (बीपीएस) के स्वामी ईश्वरचरणदास और स्वामी ब्रह्म बिहारी दास ने नरेंद्र मोदी को मंदिर उद्घाटन के लिए निमंत्रण दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
यह मंदिर पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। यह करीब 55,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और इसे भारतीय कारीगरों ने ही तराशा है। मंदिर में वैदिक वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है और इसमें जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं। मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है और इसमें 40 हजार क्यूबिक मीटर संगमरमर और 180 हजार क्यूबिक मीटर बलुआ पत्थर लगा है।
इस मंदिर के निर्माण में करीब 700 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। मंदिर के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने दान दिया है।
अबू धाबी में हिंदू मंदिर का निर्माण भारत और यूएई के बीच सद्भाव और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है। यह दिखाता है कि दोनों देश धर्म और संस्कृति के आधार पर एक-दूसरे के प्रति खुले हैं। मंदिर के उद्घाटन से हिंदू समुदाय के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण घटना होगी। यह उन्हें अपने धर्म और संस्कृति को मनाने के लिए एक नई जगह प्रदान करेगा।
मंदिर के उद्घाटन समारोह में भारत के कई अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे। इस समारोह से भारत और यूएई के बीच संबंधों को और मजबूत होने की उम्मीद है।
मंदिर के बारे में कुछ प्रमुख बातें
- मंदिर का निर्माण 2015 में शुरू हुआ था और 2024 में पूरा होने की उम्मीद है।
- मंदिर में भगवान विष्णु, लक्ष्मी, शिव और पार्वती की मूर्तियां हैं।
- मंदिर में एक सभागार, एक पुस्तकालय और एक ध्यान केंद्र भी होगा।
- मंदिर का निर्माण बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था (बीपीएस) द्वारा किया जा रहा है।
मंदिर का उद्घाटन भारत और यूएई के बीच संबंधों के लिए एक ऐतिहासिक घटना होगी। यह दिखाएगा कि दोनों देश धर्म और संस्कृति के आधार पर एक-दूसरे के प्रति खुले हैं।