पाकिस्तानी सेना ने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद का ऑफर दिया था, लेकिन एक शर्त पर। शर्त यह थी कि उन्हें 9 मई को हुए हिंसक प्रदर्शनों के लिए माफी मांगनी होगी और यह वादा करना होगा कि वे भविष्य में सेना के खिलाफ कोई बयान नहीं देंगे। पाकिस्तानी मीडिया में या रही रिपोर्ट्स के अनुसार, इमरान खान ने सेना की शर्त को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे हिंसा के लिए माफी नहीं मांग सकते क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि वे इसके लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे सेना के खिलाफ बयानबाजी नहीं करने का वादा नहीं कर सकते क्योंकि वे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं।
यह घटना पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हुई है। इमरान खान को 9 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता से हटा दिया गया था। तब से, पाकिस्तान में नई सरकार बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि इमरान खान और सेना के बीच बातचीत आगे बढ़ेगी या नहीं। यदि वे नहीं करते हैं, तो यह पाकिस्तान में राजनीतिक गतिरोध को और गहरा कर सकता है।
यहां कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:
- इमरान खान ने सेना पर आरोप लगाया है कि उसने उनकी सरकार को गिराने के लिए साजिश रची थी।
- सेना ने इन आरोपों का खंडन किया है।
- पाकिस्तान में सेना का राजनीति में हस्तक्षेप करने का एक लंबा इतिहास रहा है।
यह घटना पाकिस्तान के लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका है। यह दर्शाता है कि सेना अभी भी देश में सबसे शक्तिशाली संस्था है और यह राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के लिए तैयार है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल रिपोर्ट्स हैं और अभी तक इनकी पुष्टि नहीं हुई है। इमरान खान या सेना ने अभी तक इन रिपोर्टों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।