अयोध्या: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अयोध्या में एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने 75 साल तक बहुत जी लिया, अब उसका समय आ गया है।” यह बयान भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्तों के बीच आया है, जिसने दोनों देशों के बीच चर्चा को और गरमा दिया है।
भारत-पाकिस्तान संबंधों का संदर्भ
भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में बंटवारे के बाद से ही रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। दोनों देशों के बीच 1965 और 1971 में युद्ध हो चुके हैं, जिसमें 1971 का युद्ध पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) की स्वतंत्रता का कारण बना था। 1972 के शिमला समझौते के बाद नियंत्रण रेखा (LOC) स्थापित की गई, लेकिन कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बरकरार है। हाल के वर्षों में, खासकर आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कोई द्वि पक्षीय क्रिकेट सीरीज भी नहीं हुई है, जो 2017 के बाद से रुकी हुई है।
योगी का रुख और हालिया बयान
योगी आदित्यनाथ पहले भी पाकिस्तान के खिलाफ सख्त बयानबाजी कर चुके हैं। साल 2023 में उनके सिंध पर दिए गए बयान ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से तीखी प्रतिक्रिया उकसाई थी। हाल ही में, 12 मई 2025 को गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट का जिक्र करते हुए कहा था कि भारत को राष्ट्र-विरोधी ताकतों के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है। उनके ये बयान भारत की रक्षा नीति को मजबूत करने और पड़ोसी देशों के प्रति सख्त रवैये को दर्शाते हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
योगी के इस बयान के बाद X पर #Pakistan और #CMYogi जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कुछ यूजर्स ने उनके बयान का समर्थन किया, तो कुछ ने इसे उकसाने वाला करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “सीएम योगी का बयान सही है, पाकिस्तान को अब सबक सिखाने का वक्त है,” जबकि एक अन्य ने कहा, “ऐसे बयानों से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ेगा।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत कर रहा है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत और रूस का एक संयुक्त उद्यम, हाल ही में लखनऊ में एक नई सुविधा के उद्घाटन के साथ चर्चा में रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत की मिसाइल तकनीक में एक बड़ा कदम बताया।
योगी आदित्यनाथ का यह बयान न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों पर असर डाल सकता है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भी नई बहस को जन्म दे सकता है। जानकारों का मानना है कि ऐसे बयानों से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है, खासकर तब जब कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दे पहले से ही संवेदनशील बने हुए हैं।