लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग में बड़े पैमाने पर हुए तबादलों में अनियमितताओं के आरोपों के बाद सख्त कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर विभाग के सभी स्थानांतरण आदेशों को तत्काल प्रभाव से अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया गया है। इसके साथ ही इस पूरे मामले की गहन जांच के आदेश भी जारी किए गए हैं।
हाल ही में, स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के महानिरीक्षक निबंधन ने 13 और 14 जून को तीन अलग-अलग आदेशों के तहत 58 उप निबंधकों, 29 नव-प्रोन्नत उप निबंधकों और 114 कनिष्ठ सहायक कर्मचारियों का स्थानांतरण किया था। इन तबादलों में भारी अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं, जिसमें मेरिट का उल्लंघन और संदिग्ध गतिविधियों का आरोप शामिल है। ये शिकायतें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचीं, जिसके बाद यह कार्रवाई शुरू हुई।
स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन मंत्री रविंद्र जयसवाल ने इस मामले में अधिकारियों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “मेरिट का पालन नहीं किया गया और गड़बड़ी की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया। सीएम योगी ने तुरंत संज्ञान लेते हुए तबादले रद्द कर दिए हैं। अब जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” सूत्रों के अनुसार, इस मामले में कई वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
तबादला आदेशों पर रोक और जांच के निर्देश के बाद स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग में हड़कंप मच गया है। जहां कुछ अधिकारी राहत महसूस कर रहे हैं, वहीं कई लोग चिंता में हैं। सभी की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि जांच के बाद क्या बड़ा खुलासा होता है और किसके खिलाफ कार्रवाई होती है।
सीएम योगी का यह निर्णय भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और प्रशासनिक अनियमितताओं के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाता है। विशेषज्ञ इसे प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं। बता दें कि इससे पहले बेसिक शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों में भी तबादला प्रक्रिया को लेकर विवाद सामने आ चुके हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित करता है।
जांच के बाद दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद है। इस कदम से न केवल स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग में पारदर्शिता लाने की कोशिश होगी, बल्कि अन्य विभागों के लिए भी एक मिसाल कायम हो सकती है।