बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ी, देश की सुरक्षा नीति और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सवालों की बौछार कर दी।
“सरकार ध्यान भटका रही है”
ओवैसी ने कहा कि देश की असली चुनौती बाहरी दुश्मनों से है, लेकिन सरकार जनता का ध्यान भटकाने में लगी है। उन्होंने कहा,“अगर आप इस मुल्क से मोहब्बत करते हैं तो बताइए, क्या यह सच नहीं है कि भारत को असली खतरा पाकिस्तान और चीन से है? बांग्लादेश में चीन-पाकिस्तान की गतिविधियां तेज हो रही हैं, और सरकार यहाँ बुलडोजर और घर तोड़ने में लगी है। ये क्या हो रहा है?” उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश बॉर्डर पर चीन हवाई पट्टी बना रहा है, जिससे भारत की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। भारत का दुश्मन दरवाजे तक आ चुका है और सरकार मंदिर-मस्जिद की राजनीति में व्यस्त है,” ओवैसी ने कहा।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए ओवैसी ने केंद्र की सुरक्षा व्यवस्था पर निशाना साधा। उन्होंने कहा,26 हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या पाकिस्तान से आए चार आतंकियों ने की, और अब गवर्नर कह रहे हैं कि वे जिम्मेदार हैं। अगर वाकई जिम्मेदार हैं, तो इस्तीफा दीजिए। उन्होंने पूछा कि जब सरकार को बिहार में बांग्लादेशी और रोहिंग्या की मौजूदगी की जानकारी है, तो पहलगाम में आतंकी कैसे घुस आए? क्या तब आपकी एजेंसियां सो रही थीं? क्या सुरक्षा बल आंखें बंद करके बैठे थे?
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ओवैसी ने बिहार में चल रहे वोटर सत्यापन अभियान को भी निशाने पर लिया और कहा कि यह चुनाव से पहले मतदाताओं को निशाना बनाने की कोशिश है। आप वोटर लिस्ट के नाम पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या कह रहे हैं, लेकिन असली सुरक्षा चूक तो पहलगाम में हुई है। सवाल ये है कि ऑपरेशन सिंदूर को आगे क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा?” ओवैसी ने साफ कहा कि जब तक पहलगाम के दोषियों को सजा नहीं मिलती, AIMIM सरकार से सवाल करती रहेगी। उन्होंने इस हमले को मोदी सरकार की “सुरक्षा विफलता का प्रतीक” बताया।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी का यह हमला बीजेपी और केंद्र सरकार के लिए सियासी चुनौती बन सकता है। AIMIM पहले से ही सीमांचल क्षेत्रों में अपने प्रभाव को मजबूत कर रही है, और इस तरह के बयानों से ओवैसी राजनीतिक ध्रुवीकरण को एक नया मोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखना यह है कि बीजेपी और केंद्र सरकार इन सवालों का क्या जवाब देती है और विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाने में कितना सफल होता है।