ढाका : बांग्लादेश में एक बार फिर सियासी संकट गहरा गया है। अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफे की धमकी दी है, जबकि सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने का अल्टीमेटम दे दिया है। यह तनाव उस वक्त सामने आया है, जब देश में पहले से ही अस्थिरता का माहौल है और पिछले साल शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले छात्र आंदोलन की यादें अभी ताजा हैं।
मोहम्मद यूनुस, जो अगस्त 2024 में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख बने थे, ने कहा है कि वह मौजूदा हालात में “बंधक” जैसा महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि राजनीतिक दलों के बीच सहमति की कमी के चलते वह काम नहीं कर पा रहे। दूसरी ओर, सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने साफ कर दिया है कि अंतरिम सरकार को दिसंबर 2025 से आगे चुनाव टालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यूनुस ने पहले कहा था कि वह जून 2026 में चुनाव कराना चाहते हैं, जिसे सेना ने सिरे से खारिज कर दिया।
इस टकराव की एक बड़ी वजह रखाइन कॉरिडोर परियोजना भी है। यूनुस इस कॉरिडोर को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जिसके जरिए म्यांमार को मानवीय सहायता पहुंचाने की बात कही जा रही है। हालांकि, सेना प्रमुख ने इसे “खूनी कॉरिडोर” करार देते हुए साफ कर दिया है कि इससे देश की संप्रभुता को खतरा है। सेना का आरोप है कि यूनुस इस परियोजना के जरिए अमेरिका को खुश करना चाहते हैं, ताकि वह सत्ता में बने रह सकें। बांग्लादेश के प्रमुख राजनीतिक दल, जिसमें अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) शामिल हैं, इस कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, यूनुस और उनके करीबी सलाहकार जनरल वकार को हटाने की साजिश रच रहे हैं। इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का भी हाथ बताया जा रहा है। यूनुस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान ने हाल ही में ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक से मुलाकात की थी, जिसके बाद सेना और सतर्क हो गई है। सेना का कहना है कि यूनुस सैन्य मामलों में अनुचित हस्तक्षेप कर रहे हैं, जिसमें सेना में अपने समर्थक जनरल फैजुर रहमान को आगे बढ़ाने की कोशिश भी शामिल है।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), जो शेख हसीना की अवामी लीग पर प्रतिबंध के बाद देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है, ने भी यूनुस पर दबाव बढ़ा दिया है। पार्टी ने मांग की है कि यूनुस सरकार अपने सलाहकारों की संख्या कम करे और दिसंबर तक चुनाव की ठोस योजना पेश करे। इसके साथ ही BNP ने यूनुस के करीबी सलाहकारों महफूज आलम, आसिफ महमूद शोजिब भुइयां और खलीलुर रहमान को तत्काल हटाने की मांग की है।
राजधानी ढाका में एक बार फिर प्रदर्शन तेज होने के आसार हैं। नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) से जुड़े छात्र नेताओं ने युवाओं और इस्लामिक कट्टरपंथियों से सड़कों पर उतरने की अपील की है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर यूनुस ने सेना की चेतावनी को हल्के में लिया, तो देश में किसी भी वक्त तख्तापलट हो सकता है, जैसा कि पिछले साल शेख हसीना के साथ हुआ था।
पिछले साल जुलाई 2024 में नौकरी कोटा सिस्टम के खिलाफ छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया था, जिसमें 300 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इस आंदोलन ने शेख हसीना की 15 साल की सत्ता को उखाड़ फेंका था, जिसके बाद वह देश छोड़कर भारत भाग गई थीं। इसके बाद मोहम्मद यूनुस को सेना, नागरिक नेताओं और छात्र कार्यकर्ताओं की बातचीत के बाद अंतरिम नेता बनाया गया था। बांग्लादेश इस वक्त एक बार फिर उसी राह पर है, जहां वह पिछले साल था। अगर यूनुस और सेना के बीच टकराव बढ़ता है, तो देश में अस्थिरता और गहरा सकती है। सवाल यह है कि क्या यूनुस इस्तीफा देकर मैदान छोड़ देंगे या कोई नई रणनीति अपनाएंगे? यह वक्त ही बताएगा।