1990 का बिहार विधानसभा चुनाव (1990 Bihar Election) कई राजनीतिक बदलावों का गवाह बना। यह चुनाव पहली बार जनता दल के बैनर तले लड़ा गया, जिसका गठन 1988 में कई दलों के विलय से हुआ था। जनता दल ने 276 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और 122 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि, सरकार बनाने के लिए जरूरी 162 सीटों के बहुमत से यह संख्या काफी कम थी। मुख्यमंत्री पद के लिए कड़ी टक्कर देखने को मिली।
पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास और लालू प्रसाद के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ। विधायकों के बीच हुए मतदान में लालू प्रसाद को बहुमत मिला और वे विधायक दल के नेता चुने गए। इस तरह लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने, जबकि रामसुंदर दास दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने से चूक गए। चुनाव में कुल 45 पार्टियां मैदान में उतरी थीं, जिनमें से 34 पार्टियों का खाता भी नहीं खुल सका। कुछ पार्टियों ने 1 से 3 सीटें जीतीं। इस चुनाव में 149 महिला प्रत्याशी मैदान में थीं, लेकिन केवल 10 को ही जीत मिली।
इस चुनाव में कांग्रेस, जो लंबे समय तक बिहार की राजनीति में हावी रही थी, को इस चुनाव में करारा झटका लगा। उसने 323 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ 71 सीटों पर जीत मिलीं। आज़ादी के बाद यह दूसरी बार था जब कांग्रेस 100 से कम सीटें जीत सकी। इससे पहले, 1977 के चुनाव में कांग्रेस को केवल 57 सीटें मिली थीं।
बिहार विधानसभा चुनाव 1985: हिंसा के बीच कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 237 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और 39 सीटें ही जीत सकी। भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने 1990 के चुनाव में पटना सेंट्रल सीट से कांग्रेस के अकील हैदर को हराकर जीत दर्ज की।
वामपंथी दलों का भी इस चुनाव में कुछ प्रभाव दिखा। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) ने 109 सीटों पर चुनाव लड़ा और 23 सीटों पर जीत दर्ज की। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने भी 82 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 19 सीटें जीतीं।
इन नतीजों के बाद जनता दल ने अन्य दलों के समर्थन से सरकार बनाई और लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव के साथ ही बिहार में राजनीतिक अस्थिरता का वह दौर समाप्त हो गया, जब एक ही कार्यकाल में कई मुख्यमंत्री बदलते थे। लालू यादव की सरकार बनने के बाद बिहार की राजनीति में एक नई दिशा और दशा देखने को मिली, जो आने वाले वर्षों में बड़े बदलावों का आधार बनी।






















