पटना में एक भव्य कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दो दशक लंबे शासन का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते हुए बिहार में हुए व्यापक बदलावों को रेखांकित किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि 2005 के पहले का बिहार और आज का बिहार – दोनों में जमीन-आसमान का फर्क है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और कानून-व्यवस्था जैसे बुनियादी क्षेत्रों में बिहार ने ऐतिहासिक प्रगति की है। रिपोर्ट कार्ड को एनडीए के आगामी चुनावी अभियान की नींव भी माना जा रहा है।
बिजली के मोर्चे पर बड़ी छलांग
2005 में जहां गांवों में बिजली पहुंचने का सपना भी दूर था, वहीं अब 24 घंटे बिजली हर घर में है। 2012 में विद्युत बोर्ड को भंग कर पांच नई कंपनियों का गठन किया गया और 2018 तक लगभग सभी घरों में बिजली कनेक्शन पहुंचाया गया।
शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव
2005 में मात्र दो सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज थे, जो अब बढ़कर 38 हो गए हैं। स्कूलों में बच्चों का नामांकन भी बढ़ा है और शिक्षकों की संख्या अब करीब 6 लाख के पास है। स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या अब नगण्य है।
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधरी
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बड़ा सुधार हुआ है। जहां पहले एक पीएचसी में रोज़ाना 2 मरीज आते थे, आज वहाँ भारी भीड़ होती है। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाइयों और जांच की सुविधा भी शुरू की गई। मेडिकल कॉलेज की संख्या भी दोगुनी हुई है।
सड़कों और पुलों का जाल
2005 के बाद राज्य में सड़कों की लंबाई तीन गुना बढ़ी है। गंगा और कोसी जैसी प्रमुख नदियों पर नए पुलों का निर्माण हुआ है। निर्माणाधीन पुलों की संख्या भी उल्लेखनीय है।
कानून-व्यवस्था में सुधार
CM नीतीश कुमार ने कहा कि अब लोग शाम को भी बिना डर के निकल सकते हैं। पुलिस थानों की संख्या 817 से बढ़कर 1380 हुई है। पुलिस बल में भी बड़ी भर्तियाँ हुई हैं और अपराध पर नियंत्रण पाया गया है।
इस रिपोर्ट कार्ड को जारी कर नीतीश कुमार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार विकास और सुशासन की दिशा में लगातार कार्य कर रही है। यह रिपोर्ट न केवल 20 वर्षों की उपलब्धियों की कहानी है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक मजबूत राजनीतिक दस्तावेज भी बन सकती है।