तेज रफ्तार चलती ट्रेन और मंजिल तक पहुंचने की खुशी। लेकिन ये सफर एक ऐसे मोड़ पर खत्म हो गई जहां जिंदगी और मौत का फासला नहीं रहा। एक अंधेरी रात की सुबह अभी होनी थी कि सूरज उगने से पहले ही कई घरों के चिराग बुझ गए। लोग अपनी मंजिल के लिए निकले थे, लेकिन इन्हें क्या पता कि वह जिंदगी के अंतिम सफर पर निकले हैं। हावरा से चली कई जिंदगियों के लिए मंजिल कहीं और थी लेकिन ओडिशा के बालासोर के पास सैकड़ों को मौत मिल गई। अब तक 280 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर है, जबकि 900 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस रेल हादसे ने एक बार फिर से उस ट्रेन हादसे की यादों को ताजा कर दिया, जब ट्रेन की 7 बोगियां पुल तोड़कर नदी में समा गई थी। भारत में पिछले कई दशकों में कई बड़े रेल हादसे हुए हैं जिनमें हजारों लोगों की मौत हो चुकी हैं।
6 जून 1981 का वो काला दिन
6 जून 1981 को हुए इस रेल हादसे ने केवल देश ही नहीं पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। भारतीय रेल के इतिहास में इसे सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा करार दिया गया है। ओडिशा में हुए ट्रेन एक्सीडेंट ने इस एक बार फिर से इस हादसे की याद ताजा कर दिया है। 6 जून 1981 की वो शाम…9 डिब्बों के साथ पैसेंजर ट्रेन 416DN मानसी से सहरसा की ओर जा रही थी। ट्रेन खचाखच भरी थी। ट्रेन बदला स्टेशन से आगे बढ़ी ही थी कि आंधी-बारिश शुरू हो गई। ट्रेन को पुल संख्या 51 से होकर गुजरना था। पटरियों पर फिसलन थी और सामने लबालब भरी बागमती नदी। कुछ ही मिनट हुए थे कि ड्राइवर ने अचानक इमरजेंसी ब्रेक लगा दी। ब्रेक मारते ही 9 में से 7 डिब्बे पुल तोड़कर नदी में समा गए। बारिश की वजह से राहत बचाव में घंटों की देरी हो गई। तब तक बहुत कुछ खत्म हो चुका था।
भारत में पिछले कई दशकों में कई बड़े रेल हादसे हुए
- जुलाई 1988 को दक्षिण भारत में क्विलोन के पास एक एक्सप्रेस ट्रेन मानसून से भरी झील में गिर गई, जिसमें 106 लोगों की मौत हो गई। पेरुमन रेलवे दुर्घटना 8 जुलाई, 1988 को हुई थी, जब केरल में अष्टमुडी झील के ऊपर पेरुमन पुल पर ट्रेन पटरी से उतर गई थी और ट्रेन के 10 डिब्बे पानी में गिर गए थे।
- 20 अगस्त, 1995 को फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस घटना में 305 लोगों की मौत हुई थी।
- 26 नवंबर, 1998 को जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस पंजाब के खन्ना में फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के पटरी से उतरे तीन डिब्बों से टकरा गई थी, जिसमें 212 लोगों की मौत हो गई थी।
- 2 अगस्त, 1999 को गैसल ट्रेन दुर्घटना हुई थी। इस हादसे में ब्रह्मपुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस दुर्घटना में 285 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 300 से अधिक घायल हो गए। पीड़ितों में सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान शामिल थे।
- 20 नवंबर, 2016 को पुखरायां ट्रेन पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 152 लोगों की मौत हो गई थी और 260 घायल हो गए थे।
- 9 सितंबर, 2002 को रफीगंज ट्रेन हादसा- हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस रफीगंज में धावे नदी पर एक पुल के ऊपर पटरी से उतर गई थी, जिसमें 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
- 23 दिसंबर, 1964 को पंबन-धनुस्कोडि पैसेंजर ट्रेन रामेश्वरम चक्रवात का शिकार हो गई थी, जिससे ट्रेन मे सवार 126 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई।
- 28 मई, 2010 को जनेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गई थी। मुंबई जाने वाली ट्रेन झारग्राम के पास पटरी से उतर गई थी और फिर एक मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिससे 148 यात्रियों की मौत हो गई थी।