[Team Insider]: बिहार में शराबबंदी को लेकर सख्त कानून है। शराबबंदी को लागू कराने के लिए सरकार ने शराब रखने, बेचने को लेकर सख्त कानून की फांस बनाई है। लेकिन गाहे बगाहे शराब के सख्त कानून से लोगों को परेशान करने की भी शिकायत मिलती रहती है। ऐसा हीं एक हैरान करने वाला मामला हाजीपुर (Hajipur) के सराय में सामने आया है। जिसमें बिहार सरकार (Bihar Government) के एक बड़े अधिकारी ने अपने दवा व्यवसायी भतीजे को फ़साने के लिए फर्जी कहानी और जाल बुना। मामले की जाँच करने पहुंचे अधिकारियों की चुस्त नजर और पड़ताल ने अधिकारी साहेब की पोल खोल दी और साहेब खुद शराबबंदी कानून की फांस में फंस कर हवालात पहुंच गए।
कृषि विभाग में डिप्टी डायरेक्टर जैसे ओहदेदार पद पर रह चुके हैं
मामला हाजीपुर, सराय के मरीचा का है। सराय में रहने वाले गिरेन्द्र मोहन बिहार के कृषि विभाग के बड़े ओहदे के अधिकारी रह चुके हैं। कृषि विभाग में डिप्टी डायरेक्टर जैसे ओहदेदार पद पर रह चुके गिरेन्द्र मोहन का अपने भतीजे से पुराना पारिवारिक रंजिश चल रहा था। भतीजे को ठिकाने लगाने के लिए चाचा कई बार अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर चुके थे, लेकिन कोई ख़ास फायदा नहीं हुआ। थाने में झूठी FIR लिखवाई, तो पुलिस ने FIR खारिज कर दिया। ऐसे में अधिकारी चाचा ने शराबबंदी के ज्वलंत मसले को भतीजे को ठिकाने लगाने हथियार बनाने का जाल बुना और अपने घर में ही शराब रख भतीजे को शराब कारोबारी बता अधिकारियों को खबर कर दी।
शराब केस में फंसाने की कोशिश
अधिकारी का भतीजा अमित ने बताया की वह मेरे छोटे पापा हैं। हमारे फैमली में काफी दिनों से विवाद चल रहा है। लगभग 6 महीने पहले उन्होंने हमलोगों पर केस किये और वह केस फॉल्स निकला उससे परेशान होकर हमलोगों को शराबवाले केस में फंसाने की कोशिश किये। अमित ने बताया की दूध वाला जो हम दोनों के यहां दूध देता था उसी से शराब मंगवा कर रात में हमलोग के आलमीरा में रख दिए। शातिर अधिकारी चाचा ने भतीजे को शराब की फ़ांस में फ़साने के लिए पूरा इंतजाम किया था। चाल कामयाब भी हो जाती। शराब की खबर पर उत्पाद विभाग की टीम ने जब रात में छापा मारा तो घर से शराब की बोतलों के साथ देशी शराब भी बरामद हुई।
साजिश की कलई खुल गई
लेकिन शराब से जुड़े मामलो पर पैनी नजर रखने वाले अधिकारी ने जब छापेमारी के दौरान मामले की बारीकियों पर नजर दौड़ाया तो एक चौंकाने वाला सुराग मिला। अधिकारी चाचा ने बड़े शातिर तरीके से जिले के अधिकारियों उत्पाद विभाग से लेकर DM, SP और राज्य के आला अधिकारियों यानी मद्य निषेध के मुख्य सचिव KK पाठक को एक साथ भतीजे के शराब कारोबारी होने की खबर दी थी। सुप्रीम अधिकारियों से मिली खबर पर अधिकारीयो ने छापेमारी तो की और मामले की बारीकी से पड़ताल में भी जुटे गए।
शराब की मिली थी खबर
छापेमारी टीम को सिर्फ शराब की खबर मिली थी। लेकिन बड़ा सुराग तब मिला जब छापेमारी टीम ने शराब बरामदगी के बाद मौके से सुचना देने वाले को फोन मिलाया। फोन मिलाते हीं फोन आरोपी के साथ घर में मौजूद चाचा का मोबाइल में बजने लगा। आरोपी के साथ अनजान बने चाचा की मौजूदगी ने छापेमारी टीम की छठी इंद्री को चौकस किया, पड़ताल आगे बढ़ी और मौके पर ही चाचा के मोबाइल की जांच हुई तो पुरे साजिश की कलई खुल गई। शातिर अधिकारी चाचा अपने मोबाइल फोन में मौजूद ऑटो कॉल रिकार्ड के चक्कर में बेनकाब थे और भतीजे को शराबबंदी की फांस में फ़साने की साजिश का पर्दा उठ चुका था।