हिना शहाब और पप्पू यादव दो ऐसे नाम हैं, जो इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इन दोनों में इस समानता के साथ यह भी समानता है कि दोनों कभी राजद के रहे हैं। दोनों को लालू यादव की सरपरस्ती मिली हुई थी। लेकिन अब दोनों लालू यादव के खिलाफ हैं। या यूं कह सकते हैं कि दोनों को लालू यादव ने राजद के तेजस्वी यादव युग में किनारे कर दिया है। अब सवाल उठता है कि लालू यादव और तेजस्वी यादव ने इन दोनों किनारे कर क्या पाया और क्या खो दिया?
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पाने की बात करें तो लालू यादव ने हिना शहाब को किनारे कर सीवान में अपने बूते जमीन बनाने की शुरुआत की है। पिछले ढ़ाई दशक में सीवान में राजद का नेम प्लेट शहाबुद्दीन और हिना शहाब के केयर ऑफ में ही लगा दिखा है। तेजस्वी यादव को यह पसंद नहीं है। इसीलिए उन्हें किनारे लगाने के लिए यह दांव खेला गया है, जिसमें सीवान से अवध बिहारी चौधरी को मौका मिल गया है।
सीवान में हिना शहाब को किनारे लगाकर राजद ने कुछ खोया भी है। लालू यादव के राजद को M-Y की पार्टी का तमगा हासिल था। यानि मुस्लिम और यादव लालू और राजद के साथ थे। हिना शहाब के समर्थकों का उनके प्रति लगाव ऐसा है कि उनके जाने का असर जरुर दिखेगा। कम दिखेगा या ज्यादा, ये तो आने वाले चुनाव में पता चल जाएगा। लेकिन इतना तय है कि M-Y का M यानि मुसलमान हिना शहाब के कारण राजद से थोड़ा खिंचेगा जरुर।
अब बात करें पप्पू यादव की तो पप्पू यादव ने 2014 का लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर मधेपुरा से जीता था। लेकिन इस बार राजद ने उन्हें बेटिकट करने के लिए उस पूर्णिया सीट को अपने खाते में कर लिया, जिससे उसका खास लेना देना नहीं रहा। पप्पू यादव को बाहर कर तेजस्वी यादव यह बताने की कोशिश की है कि राजद से खिलाफत करने वालों को वे खास तवज्जो नहीं देंगे। हालांकि पप्पू यादव को बेटिकट कर उन्हें निर्दलीय लड़ने पर मजबूर करने वाली राजद को पूर्णिया सीट पर नुकसान की भी आशंका है।