बिहार की राजनीति एक बार फिर उफान पर है। रेलवे में नौकरी के बदले जमीन और फ्लैट रजिस्ट्री कराने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बड़े बेटे, तेजप्रताप यादव से पूछताछ शुरू की। इस घटनाक्रम के बाद से ही राज्य की सियासी फिजा में उबाल आ गया है।
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राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इसे पूरी तरह से एक राजनीतिक साजिश करार दिया है। लालू परिवार के करीबी और राजद MLC सुनील सिंह ने बयान दिया कि यह कोई नया मामला नहीं है, बल्कि यह वही पुरानी पटकथा है जिसे हर चुनाव के दौरान दोहराया जाता है। उन्होंने कहा, “जब भी चुनाव आता है, चाहे वह लोकसभा का हो या विधानसभा का, ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग सक्रिय हो जाते हैं। जो काम बीजेपी के कार्यकर्ता नहीं कर पाते, वह ये तीन सरकारी एजेंसियां कर देती हैं।”
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है, और ऐसे में लालू परिवार के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्ष इसे केंद्र सरकार की “वोट बैंक राजनीति” बता रहा है। सुनील सिंह ने आगे कहा, “यह एजेंसियां कहने को तो ऑटोनोमस हैं, लेकिन बिना ‘आका‘ के आदेश के एक कप चाय भी नहीं पी सकतीं। यह सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए लालू परिवार को बार-बार निशाना बना रही है।”
पिछले कुछ वर्षों में लालू परिवार के खिलाफ कई बार केंद्रीय एजेंसियों ने जांच की है। जमीन के बदले नौकरी घोटाले से लेकर चारा घोटाले तक, कई मामलों में सीबीआई और ईडी ने पूछताछ की है। सुनील सिंह का आरोप है कि यह पूरी कवायद सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा है और इससे पहले भी लालू यादव और उनके परिवार को इस तरह के नोटिस भेजे जाते रहे हैं। “हर बार वही सवाल, वही जवाब और हर बार वही नतीजा—राजनीतिक दबाव बढ़ाना।”