पटना। बिहार की राजधानी पटना में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी ने पूरे प्रशासनिक महकमे में हलचल मचा दी है। 27 मार्च को हुए इस बड़े ऑपरेशन में ईडी ने पटना के सात अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दी और इस दौरान चौंकाने वाले खुलासे हुए। अधिकारियों के आवासों से 11 करोड़ 64 लाख रुपए नगद बरामद किए गए हैं, साथ ही कई अहम दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी हाथ लगे हैं।
IAS अधिकारी के करीबी अफसरों पर शिकंजा
ईडी की इस कार्रवाई का मुख्य निशाना आईएएस अधिकारी संजीव हंस से जुड़े विभागों के अधिकारी रहे। छापेमारी भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी दास, वित्त विभाग के संयुक्त सचिव मुमुक्ष चौधरी, शहरी विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता उमेश कुमार सिंह, बिहार अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर रियाज अहमद, बीएमएसआईसीएल के डीजीएम विकास झा और सागर जायसवाल, और भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता साकेत कुमार के ठिकानों पर की गई।
इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने सरकारी टेंडरों में अपने खास ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के बदले मोटी रिश्वत ली। टेंडर पास करने से लेकर बिल क्लीयरेंस तक में घूसखोरी का खेल चला। खासकर पटना के ठेकेदार रिशु श्री सहित कई ठेकेदारों के बिलों को मंजूरी देने के बदले मोटी रकम वसूली गई। इस काले खेल में करोड़ों के लेन-देन के पक्के सबूत मिले हैं।
ईडी के हत्थे लगे ठोस सबूत!
छापेमारी के दौरान 11.64 करोड़ रुपए नगद मिलने के अलावा, ईडी को जमीन और प्रॉपर्टी से जुड़े अहम दस्तावेज, बैंक लेन-देन के रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य भी हाथ लगे हैं। माना जा रहा है कि यह पूरा नेटवर्क एक बड़े भ्रष्टाचार का हिस्सा हो सकता है, जिसकी परतें अब धीरे-धीरे खुलेंगी।





















