नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा हाल ही में सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने के फैसले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। इस फैसले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे “बेहद उचित” करार दिया।
CM धामी ने कहा, “ये बहुत उचित फैसला है। जो जैसा है, उसके साथ वैसा व्यवहार होना चाहिए। दुष्टों के साथ दुष्टता का व्यवहार होना चाहिए। रक्त और पानी दोनों साथ-साथ नहीं बह सकते। ये आज का भारत है, जो दोस्ती करना भी जानता है और दुश्मनी निभाना भी जानता है।”
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत ने 23 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बाइसरण वैली में हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर इस समझौते को निलंबित कर दिया। इस हमले को भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जोड़ा है, हालांकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। इसके तहत भारत को ब्यास, रावी और सतलुज नदियों (पूर्वी नदियों) का नियंत्रण मिला, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों (पश्चिमी नदियों) का नियंत्रण दिया गया। यह समझौता दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे का एक सफल उदाहरण माना जाता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने इसकी प्रासंगिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सितंबर 2024 में भारत ने औपचारिक रूप से समझौते की समीक्षा की मांग की थी, जिसका पाकिस्तान ने विरोध किया। इसके बाद 1 मार्च 2025 को भारत ने रावी नदी का पानी पाकिस्तान में जाने से रोक दिया। पहलगाम हमले के बाद 23 अप्रैल को भारत ने समझौते को पूरी तरह निलंबित कर दिया, जिसे कई विशेषज्ञों ने दोनों देशों के बीच पानी और सुरक्षा के मुद्दों को जोड़ने वाला एक बड़ा कदम बताया।
हालांकि CM धामी ने इस फैसले को आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का हिस्सा बताकर समर्थन दिया, लेकिन भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता नरेश टिकैत ने इस कदम का विरोध किया है। टिकैत ने कहा कि पानी रोकना अनुचित है और पूरे पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है।
दूसरी ओर, विशेषज्ञों का कहना है कि इस निलंबन से भारत अब बिना पाकिस्तान को सूचित किए अपनी परियोजनाओं को संशोधित कर सकता है या नई परियोजनाएं शुरू कर सकता है, जिससे पानी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है। पाकिस्तान ने इस कदम को ‘युद्ध की कार्रवाई’ के रूप में देखने की चेतावनी दी है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
सिंधु जल समझौते का निलंबन दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और जटिल बना सकता है। भारत का यह कदम पानी को एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की ओर इशारा करता है, जो भविष्य में क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की जरूरत पड़ सकती है, ताकि दोनों देशों के हितों को संतुलित किया जा सके।