राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को ‘ज़मीन के बदले नौकरी’ (Land For Job Case) घोटाले में दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में लालू यादव द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर और दाखिल चार्जशीट को रद्द करने की मांग की थी। जस्टिस रवींद्र डुडेजा की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी। इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने लालू यादव की ओर से पैरवी करते हुए दलील दी थी कि इस मामले में वर्ष 2004 से 2009 के बीच कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी, और क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने के बावजूद सीबीआई ने 2020 में फिर से एफआईआर दर्ज कर दी।
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सिब्बल ने इसे “प्रताड़ना” बताते हुए सवाल उठाया कि बिना वैधानिक मंजूरी के जांच कैसे जारी रखी गई। उन्होंने यह भी बताया कि 2 जून से राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है, जिसमें आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
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सीबीआई ने कपिल सिब्बल की दलीलों का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि जिन कानूनी बिंदुओं को याचिकाकर्ता उठा रहे हैं, वे फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। एजेंसी ने बताया कि यह मामला जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद लालू यादव को इस केस में ट्रायल का सामना करना होगा, जिससे उनकी कानूनी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
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यह मामला उस कथित घोटाले से जुड़ा है जिसमें आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान जमीन के बदले रेलवे में लोगों को नौकरी दी गई थी। सीबीआई ने इस पर 2020 में फिर से जांच शुरू की और अब चार्जशीट दाखिल कर दी है। अब निगाहें 2 जून को राउज एवेन्यू कोर्ट की कार्यवाही पर टिकी हैं, जहां से मामले में अगला बड़ा मोड़ सामने आ सकता है।