नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाकर सरकार को घेर रहे हैं। लेकिन अब केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान के बहनोई, जामुई सांसद अरुण भारती ने एक ट्वीट में बिहार में बढ़ते अपराध पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पटना में व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या, पूर्णिया में एक परिवार के पांच लोगों को जिंदा जलाने और सिवान, बक्सर, नालंदा, भोजपुर में नरसंहारों का जिक्र कर नीतीश कुमार की सरकार पर नाकामी का आरोप लगाया।
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अरुण भारती ने कहा, अपराधियों का भय अब पूंजी और प्रतिष्ठा से बड़ा हो गया है। पटना में भाजपा से जुड़े व्यवसायी गोपाल खेमका जी की हत्या हो या भाजपा से जुड़े उद्योगपति अजय सिंह जी को मिल रही धमकियाँ- अपराधियों का भय अब पूंजी, प्रतिष्ठा और पहचान से भी बड़ा हो गया है। पूर्णिया में एक ही परिवार के 5 लोगों को ज़िंदा जलाकर मार दिया गया। सिवान, बक्सर, नालंदा, भोजपुर में नरसंहार—हर जगह लहूलुहान बिहार! बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ विज़न का लक्ष्य है—एक ऐसा बिहार जहाँ अपराध की सोच भी अपराधियों को डराए।
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ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या चिराग पासवान अपनी ही सरकार के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए हैं? अरुण भारती का ट्वीट और चिराग पासवान के हाल ही के बयान से संकेत मिलता है कि लोजपा (रामविलास) न केवल दलित वोटबैंक, बल्कि गैर-यादव ओबीसी और युवाओं को लुभाने की कोशिश में है। बिहार में अपराध और कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाकर चिराग पासवन, नीतीश सरकार की कमजोरियों को उजागर कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग का यह कदम एनडीए में अपनी स्थिति मजबूत करने और भविष्य में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश करने की रणनीति हो सकती है। बीजेपी ने हालांकि स्पष्ट किया है कि चिराग एनडीए के साथ हैं और नीतीश ही गठबंधन के नेता रहेंगे।
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दरअसल, चिराग पासवान ने बीते दिनों छपरा में ‘नव संकल्प महासभा’ में कहा था कि, मैं बिहार की हर सीट पर चिराग पासवान बनकर लडूंगा। उनका यह बयान एनडीए के भीतर ऑल इज वेल, नहीं होने का संकेत है। हालांकि, कई जानकार इसे सीट बंटवारे पर दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं। बता दें कि वर्ष 2020 में लोजपा ने जेडीयू के खिलाफ 137 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जिससे जेडीयू को 29 सीटों पर नुकसान हुआ था। इस बार चिराग पसवान की मांग 40 सीटों की है। इसी बीच उनका आक्रामक रुख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता और स्वास्थ्य पर सवालों के बीच नये सियासी समीकरण का भी संकेत कर रहा है।