चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट रिवीजन के पहले चरण के तहत मसौदा सूची प्रकाशित कर दी। आंकड़े के अनुसार अब मतदाताओं की संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई है जबकि पहले यह आंकड़ा 7.89 करोड़ था। यानी करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम इस सूची से हटाए गए हैं। मतदाताओं के नाम काटने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंस बुला ली। मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने बेहद गुस्से में चुनाव आयोग से कई सवाल पूछ डाले। तेजस्वी यादव ने कहा पूछा कि किस आधार पर किसी व्यक्ति को ‘मृत’ या ‘स्थायी रूप से पलायन’ कर चुका माना गया? क्या परिवार से कोई प्रमाण पत्र लिया गया?
तेजस्वी यादव का भी कट गया वोटर लिस्ट से नाम.. चुनाव आयोग पर भड़के, बोले- हम तो नागरिक ही नहीं
तेजस्वी ने ड्राफ्ट सूची में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने शनिवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि- ‘तकरीबन हर विधानसभा से 20 से 30 हजार नाम काटे गए हैं। कुल 65 लाख के करीब यानी 8.5% के करीब मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। आरजेडी नेता ने एसआईआर को लेकर हमला बोलते हुए कहा, ‘हर विधानसभा क्षेत्र से लगभग 20 से 30 हजार नाम हटाए गए हैं। कुल लगभग 65 लाख, यानी लगभग 8.5 फीसदी मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं।
चुनाव आयोग जब भी कोई विज्ञापन जारी करता था, तो उसमें लिखा होता था कि इतने लोग ट्रांसफर हो गए हैं, इतने लोगों की मौत हो गई है और इतने लोगों के नाम डुप्लिकेट हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने हमें जो सूची उपलब्ध कराई है, उसमें उन्होंने बड़ी चालाकी से किसी भी मतदाता का पता, बूथ संख्या और ईपीआईसी नंबर नहीं दिया है, ताकि हम यह पता न लगा सकें कि किन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं।’
ECI का बड़ा फैसला: BLO और पर्यवेक्षकों का मानदेय दोगुना.. ERO-AERO को पहली बार मिलेगा पारिश्रमिक
उन्होंने कहा, ‘एसआईआर की शुरुआत से ही इसमें कोई पारदर्शिता नहीं रही है। उन्होंने इसे राजनीतिक दलों को शामिल किए बिना शुरू कर दिया। विपक्ष ने समय पर सवाल उठाया। हमारे प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की, हमारी शिकायतों, सुझावों पर ध्यान नहीं दिया गया। ईसीआई ने सुप्रीम कोर्ट के सुझावों की भी उपेक्षा की है। हम कह रहे थे कि गरीब लोगों के नाम हटा दिए जाएंगे।
हालांकि आयोग ने कहा कि ऐसा नहीं होगा। अब यह प्रक्रिया पूरी हो गई है, सूची राजनीतिक दलों को निर्वाचन क्षेत्रवार दी जा रही है। चुनाव आयोग ने कहा था कि हटाने का कारण साझा किया जाएगा। कल, महागठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग के पास गया, हमारी आपत्तियों को शेयर किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग ने गुजरात के दो लोगों के निर्देशों के अनुसार बिहार की मतदाता सूची तैयार करने का फैसला किया है।’