बिहार SIR (स्पेशल इलेक्टोरल रिवीजन) और ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर मचे सियासी घमासान पर चुनाव आयोग ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर हर सवाल का जवाब दिया। खुद मुख्य चुनाव आयुक्त ने समझाया कि एसआईआर की पूरी प्रक्रिया समझाई। साथ ही विपक्ष को सीधी चुनौती दी। अगर उनके पास कोई ठोस आधार है तो वे कानूनी रास्ता अपनाएं, वरना निराधार आरोपों से जनता को गुमराह करना बंद करें। आयोग ने कहा है कि मतदाता सूची के संशोधन से लेकर चुनाव परिणाम तक की हर स्टेप साफ, पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया के तहत होती है। किसी भी स्तर पर सुधार, आपत्ति और अपील का प्रावधान मौजूद है। इसके बावजूद आरोप लगाने का क्या मतलब है, यह देश की जनता खुद समझ रही है।
चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों को किया खारिज.. कहा- हम निष्पक्ष हैं और लोकतंत्र के साथ खड़े हैं
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “मतदाता सूची को शुद्ध करना एक साझा ज़िम्मेदारी है, लेकिन बिहार में चूंकि हमारे बूथ लेवल अधिकारियों ने बूथ लेवल एजेंटों और राजनीतिक दलों के साथ मिलकर काम किया, शायद इसीलिए 1 अगस्त के बाद से किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। इसके दो ही मतलब हो सकते हैं – क्या मसौदा सूची पूरी तरह से सही है? जिसे चुनाव आयोग नहीं मानता, चुनाव आयोग कह रहा है कि इसमें ग़लतियां हो सकती हैं, इसे शुद्ध करते हैं, अभी 15 दिन बाकी हैं, अगर 1 सितंबर के बाद भी उसी तरह के आरोप लगने शुरू हुए, तो कौन ज़िम्मेदार है? हर मान्यता प्राप्त पार्टी के पास अभी 15 दिन बाकी हैं। मैं सभी राजनीतिक दलों से आह्वान करता हूं कि 1 सितंबर से पहले इसमें त्रुटियां बताएं चुनाव आयोग उन्हें सुधारने के लिए तैयार है।”
मतदाता सूची संशोधन की तय प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने सबसे पहले यह साफ किया कि जब भी मतदाता सूची का रिवीजन किया जाता है, उसकी प्रक्रिया बिल्कुल तय और नियमबद्ध होती है। इसमें मनमानी या पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं होती, आयोग ने कहा कि अगर किसी को फिर भी शिकायत रहती है तो उसके पास अपील करने का पूरा अधिकार है. सबसे पहले अपील संबंधित ज़िले के अधिकारियों के पास की जाती है। यदि वहां भी समस्या का समाधान न हो तो यह मामला जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास जाता है। और अगर डीएम भी संतोषजनक समाधान न कर पाए तो फिर राज्य के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर तक अपील ले जाई जा सकती है।
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क्यों जरूरी है SIR
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, ‘पिछले 20 सालों में SIR नहीं किया गया। अब तक देश में 10 से ज्यादा बार SIR किया जा चुका है। SIR का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है। राजनीतिक दलों से कई शिकायतें मिलने के बाद SIR किया जा रहा है।’ CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा- मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारतीय नागरिक ही सांसद और विधायक के चुनाव में वोट दे सकते हैं। दूसरे देशों के लोगों को यह अधिकार नहीं है। अगर ऐसे लोगों ने गणना फॉर्म भरा है, तो SIR प्रक्रिया के दौरान उन्हें कुछ दस्तावेज जमा करके अपनी राष्ट्रीयता साबित करनी होगी। जांच के बाद उनके नाम हटा दिए जाएंगे।






















