कांग्रेस के मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेरा ने पटना में प्रेस कांफ्रेंस कर चुनाव योग पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग कहता है कि CCTV फुटेज देने से मां-बहनों की प्राइवेसी भंग होगी। ऐसे में सवाल है कि अगर CCTV फुटेज से प्राइवेसी भंग हो जाएगी, तो करोड़ों रुपए खर्च करके कैमरे क्यों लगाए गए?

प्रेस कॉन्फ्रेंस में करीब 4 बजे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हम मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट नहीं दे सकते। फिर शाम को करीब 7 बजे, चुनाव आयोग खुद बिहार के 65 लाख लोगों के नाम वाली मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर देता है। ये तो पूरी कहानी ही अलग है। यानी- जिस लिस्ट से प्राइवेसी भंग हो रही थी, उसे खुद चुनाव आयोग ने सार्वजनिक रूप से जारी कर दिया।
चुनाव आयोग बहुत बुरी तरह फंस गया है
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग अब खुद कह रहा है कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है। इसका मतलब है कि आज से कुछ महीने पहले चुनाव आयोग झूठ बोल रहा था, क्योंकि तब वह कह रहा था कि वोटर लिस्ट में कोई गड़बड़ नहीं है। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने जब इन गड़बड़ियों को उजागर किया तो चुनाव आयोग हलफनामा मांग रहा था। इसपर हम कहना चाहते हैं कि पहले चुनाव आयोग को अपना कागज़ दिखाना चाहिए।
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कन्हैया कुमार ने कहा कि SIR में भारी पैमाने पर धांधली हो रही है। सारे BLO घर-घर जाकर फॉर्म नहीं भरवा रहे। कई बूथ पर जिंदा लोगों का नाम काट दिया गया और मरे हुए लोगों को लिस्ट में शामिल कर दिया गया। पार्टियों को जो डिलीशन लिस्ट सौंपी गई, उसमें सिर्फ नाम थे, EPIC नंबर नहीं था। जब ये बात सुप्रीम कोर्ट को बताई गई, तब कोर्ट ने आदेश दिया कि चुनाव आयोग को लोगों को इस बारे में बताना होगा। इतना ही नहीं- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी आधार कार्ड को अधिकारियों द्वारा स्वीकार नहीं किया गया और आवासीय प्रमाण पत्र मांगे जा रहे थे। यानी कि कागज के नाम पर वोटर को परेशान किया गया।






















