Akhilesh Prasad Singh: राजनीति में आपराधिक छवि वाले नेताओं पर रोक लगाने की बहस एक बार फिर गरमा गई है। संसद में उस प्रस्तावित बिल को लेकर चर्चा हो रही है जिसमें प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपित हों तो उन्हें पद से हटना होगा। इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने बड़ा बयान दिया है।
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अखिलेश प्रसाद सिंह का कहना है कि इस तरह के बिल लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी जनप्रतिनिधि को केवल आरोप के आधार पर ही पद से हटाया जाएगा तो इसका मतलब होगा कि देश का लोकतंत्र सही दिशा में काम नहीं कर रहा। उनका तर्क था कि ऐसे कानून से राजनीति को फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा, क्योंकि केवल आरोप लगने मात्र से किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि का राजनीतिक करियर दांव पर लग सकता है।
गौरतलब है कि भारत में राजनीति और आपराधिक छवि वाले नेताओं का रिश्ता लंबे समय से विवादों का विषय रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार ऐसे मामलों में कठोर रुख अपनाने और राजनीति को अपराधमुक्त करने की बात कही है। इसके बावजूद संसद और विधानसभा में बड़ी संख्या में ऐसे सांसद और विधायक मौजूद हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं।
अखिलेश प्रसाद सिंह ने यह भी कहा कि लोकतंत्र की बुनियाद ‘जनता का फैसला’ है। अगर जनता किसी नेता को चुनकर भेज रही है तो केवल आरोप लगने की वजह से उसे पद से हटाना जनादेश का अपमान होगा। उनका मानना है कि न्यायपालिका को अपनी प्रक्रिया पूरी करने देनी चाहिए और अंतिम फैसला अदालत के आदेश के बाद ही लागू होना चाहिए।






















