बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election) से पहले NDA में सीट बंटवारे की तस्वीर लगभग साफ होती दिख रही है। सूत्रों के अनुसार, जेडीयू को इस बार 100–102 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि भाजपा को 100–101 सीटें मिल सकती हैं। लोजपा (रामविलास) को 20, हम (HAM) और रालमो (RLM) को 10–10 सीटें दी जा सकती हैं। यानी इस बार जेडीयू की हिस्सेदारी 2020 की तुलना में काफी घटने जा रही है।
अगर 2020 के फार्मूले की बात करें तो जेडीयू को 122 सीटें दी गई थीं, जबकि भाजपा को 121 सीटें मिली थीं। उस समय एनडीए में जीतनराम मांझी की हम (HAM) और मुकेश सहनी की वीआईपी (VIP) भी शामिल थे। जेडीयू ने अपने हिस्से की 7 सीटें हम को दी थीं, जबकि भाजपा ने अपनी हिस्सेदारी से 11 सीटें वीआईपी को दी थीं।
लेकिन नतीजों में समीकरण उलट गया। भाजपा ने जहां 74 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा पाया, वहीं जेडीयू सिर्फ 43 सीटों तक सिमट गई। यही वजह है कि 2025 में भाजपा बराबरी का दावा कर रही है और जेडीयू को पहले जैसी हिस्सेदारी देने को तैयार नहीं दिख रही।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2020 के प्रदर्शन ने एनडीए के भीतर शक्ति संतुलन बदल दिया है। भाजपा ने न केवल अपनी स्थिति मजबूत की बल्कि अब सीट बंटवारे में भी वर्चस्व दिखाने लगी है। वहीं नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने और घटती जनाधार वाली राजनीति ने जेडीयू की सौदेबाजी की ताकत कम कर दी है।
अब सवाल उठता है कि 2025 में क्या जेडीयू 100 सीटों पर लड़कर अपना पुराना असर बचा पाएगी या फिर 2020 जैसी स्थिति दोहराई जाएगी। क्योंकि अगर भाजपा को फिर बढ़त मिलती है तो नीतीश कुमार की राजनीतिक हैसियत और भी कमजोर हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में एनडीए की एक बड़ी बैठक जल्द बुलाई जाएगी, जिसमें सीट बंटवारे के इस फार्मूले पर औपचारिक मुहर लगने की संभावना है। इसके बाद बिहार चुनावी समर का बिगुल औपचारिक रूप से बज जाएगा।






















