नेपाल इस समय भीषण राजनीतिक और सामाजिक अशांति के दौर से गुजर रहा है। देशभर में विरोध-प्रदर्शनों का माहौल है और हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पूरा देश मानो धुएं से घिर गया हो। ऐसे समय में नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाए जाने का प्रस्ताव सामने आया है। यह प्रस्ताव हामी नेपाली नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) की ओर से रखा गया, जिसे काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने भी समर्थन दिया है।
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सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं। वर्ष 2017 में, उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। उन पर सरकार के कामकाज में दखल देने के आरोप लगे थे, जिसके चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, कार्की ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने उनकी रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उनके खिलाफ लाया गया महाभियोग रद्द कर दिया।
इस घटनाक्रम के आठ साल बाद, राजनीति का पासा पूरी तरह पलट चुका है। जिस महिला को एक समय सत्ता के गलियारों से बाहर कर दिया गया था, आज वही महिला देश की अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे है। यह घटनाक्रम नेपाल के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है.






















