Samastipur Vidhan Sabha 2025: बिहार की राजनीति में समस्तीपुर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 133) का अपना अलग महत्व है। समस्तीपुर की पहचान न सिर्फ ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि चुनावी समीकरणों में भी यह सीट कई बार सत्ता का रुख तय करती रही है। यह सीट लंबे समय तक राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का गढ़ मानी जाती रही है, हालांकि जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भी यहां अपनी पकड़ मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वर्तमान में इस सीट पर आरजेडी के अख्तरुल इस्लाम शाहीन काबिज हैं, जिन्होंने 2010 से लगातार इस क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
चुनावी इतिहास
अगर चुनावी इतिहास पर नज़र डालें तो 2000 में इस सीट पर जेडीयू के रामनाथ ठाकुर ने आरजेडी के अशोक सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी। 2005 में भी जेडीयू ने अपना वर्चस्व कायम रखा। लेकिन 2010 का चुनाव समस्तीपुर की राजनीति का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ, जब अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कड़ी टक्कर देते हुए जेडीयू को शिकस्त दी और आरजेडी की इस सीट पर वापसी कराई। 2015 में महागठबंधन की वजह से यह सीट सहज रूप से आरजेडी के खाते में रही। 2020 में शाहीन ने जेडीयू की अश्वमेध देवी को 4714 वोटों से हराकर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की।
जातीय समीकरण
समस्तीपुर विधानसभा की सबसे बड़ी ताकत यहां का सामाजिक समीकरण है। मुस्लिम और यादव मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं, वहीं ब्राह्मण, राजपूत और अति पिछड़ा वर्ग भी चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं। यहां कुल 2.64 लाख मतदाता हैं, जिनमें ग्रामीण आबादी का प्रतिशत करीब 80 है। अनुसूचित जाति की आबादी भी करीब 18.63% है, जो इस सीट को और भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील बनाती है। यही वजह है कि हर चुनाव में समस्तीपुर विधानसभा सभी दलों की प्राथमिकता में रहती है।
बिहार की राजनीति में Kalaynapur Vidhan Sabha का प्रभाव और 2025 चुनाव का समीकरण
2025 के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अख्तरुल इस्लाम शाहीन अपनी चौथी जीत दर्ज कर पाते हैं या फिर एनडीए की ओर से जेडीयू और बीजेपी मिलकर इस पर कब्जा जमाने की रणनीति में कामयाब होती है। वहीं एलजेपी जैसे दल भी समीकरण बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं। समस्तीपुर का चुनाव इस बार केवल स्थानीय नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति के बड़े संदेश देने वाला साबित हो सकता है।






















