Begusarai Vidhansabha 2025: बेगूसराय विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या-146) बिहार की सबसे चर्चित और निर्णायक सीटों में से एक मानी जाती है। बेगूसराय जिले में आने वाली यह सीट न सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच सीधी टक्कर का गवाह रही है, बल्कि यहां का जातीय समीकरण भी हर बार चुनावी नतीजों पर गहरा असर डालता है। अब तक यहां कुल 17 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 8 बार कांग्रेस, 6 बार बीजेपी, दो बार माकपा, जबकि भाकपा और निर्दलीय उम्मीदवार एक-एक बार विजयी रहे हैं। मौजूदा समय में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के पास है।
चुनावी इतिहास
1957 से लेकर 1969 तक कांग्रेस ने यहां लगातार जीत दर्ज कर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी। हालांकि, 1985 के बाद कांग्रेस के लिए यह सीट दूर हो गई और लगभग तीन दशकों तक बीजेपी और वामपंथी दलों का दबदबा बना रहा। दिलचस्प यह है कि बेगूसराय से भोला सिंह सात बार विधायक बने और उन्होंने कांग्रेस, बीजेपी, सीपीआई और निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की, जिससे यह सीट बिहार की राजनीति में बेहद रोचक बनती रही।
Matihani Vidhan Sabha 2025: बेगूसराय की प्रमुख सीट पर कौन मारेगा बाज़ी?
2010 और 2015 के चुनाव इस सीट पर अलग-अलग राजनीतिक तस्वीर पेश करते हैं। 2010 में बीजेपी के सुरेंद्र मेहता ने जीत हासिल की, जबकि 2015 में महागठबंधन के तहत कांग्रेस की अमिता भूषण ने तीन दशक बाद पार्टी को जीत दिलाई। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र मेहता को हराकर बड़ा उलटफेर किया। लेकिन 2020 के चुनाव में स्थिति बदल गई और बीजेपी के कुंदन कुमार ने कांग्रेस की अमिता भूषण को 4,554 वोटों से मात दी। इस जीत ने साफ किया कि बेगूसराय सीट पर मतदाता किसी एक पार्टी के प्रति स्थायी झुकाव नहीं दिखाते, बल्कि मुद्दों और समीकरणों के हिसाब से अपना फैसला देते हैं।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण इस सीट की राजनीति की रीढ़ माने जाते हैं। मुस्लिम और भूमिहार मतदाता यहां सबसे निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनके अलावा यादव और ब्राह्मण वोटर भी जीत-हार तय करने में महत्वपूर्ण फैक्टर साबित होते हैं। यही वजह है कि हर चुनाव में उम्मीदवारों का चयन और दलों की रणनीति इन वर्गों को साधने के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
पहली बार यहां 1957 में चुनाव हुए थे, जब 56.2% मतदान हुआ था। सबसे अधिक 67.3% मतदान 1967 के चुनाव में दर्ज हुआ। 2011 की जनगणना के अनुसार, बेगूसराय विधानसभा की कुल आबादी 4,32,046 है, जिसमें 77.11% लोग ग्रामीण और 22.89% शहरी इलाके में रहते हैं। अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 15.67% और अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी मात्र 0.03% है।
बदलते राजनीतिक परिदृश्य में यह साफ है कि बेगूसराय विधानसभा सीट न तो पूरी तरह किसी एक दल की परंपरागत सीट रही है और न ही किसी एक जाति की बपौती। यही कारण है कि हर चुनाव में यहां की लड़ाई दिलचस्प मोड़ लेती है और राज्य की राजनीति पर गहरा असर डालती है।






















