Bhagalpur Vidhansabha 2025: भागलपुर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 156) बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व रखने वाली सीट मानी जाती है। भागलपुर जिले में आने वाली यह सीट 1957 से अस्तित्व में है और अब तक यहां 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती रही है। कांग्रेस ने अब तक 7 बार और बीजेपी ने 6 बार जीत दर्ज की है, जबकि भारतीय जनसंघ भी यहां तीन बार जीतने में सफल रही थी।
चुनावी इतिहास
भागलपुर की चुनावी राजनीति में दो नेताओं का नाम सबसे ज्यादा गूंजता रहा है—बिजॉय कुमार मित्रा और अश्विनी चौबे। बीजेपी इन्हीं दो नेताओं के करिश्मे के दम पर कई बार सत्ता तक पहुंची। लेकिन पिछले एक दशक से कांग्रेस के अजीत शर्मा इस सीट पर मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। 2015 में अजीत शर्मा ने बीजेपी के अर्जित चौबे को 70,514 वोट पाकर हराया था, जबकि अर्जित चौबे को 59,856 वोट मिले थे। वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने अपनी बढ़त कायम रखी। इस चुनाव में अजीत शर्मा ने बीजेपी उम्मीदवार रोहित पांडेय को 1,113 वोटों के मामूली अंतर से पराजित किया। चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि अजीत शर्मा को 65,502 वोट मिले, जबकि रोहित पांडेय को केवल 20,523 वोट हासिल हुए।
जातीय समीकरण
भागलपुर सीट का चुनावी गणित जातीय समीकरण पर काफी निर्भर करता है। यहां मुस्लिम, यादव और ब्राह्मण वोटर हमेशा से जीत-हार का निर्णायक फैक्टर रहे हैं। इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी 8.17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.27 प्रतिशत है। यह समीकरण बताता है कि यहां सामाजिक गठजोड़ और जातीय संतुलन ही उम्मीदवार की सफलता तय करता है।\
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हालांकि कांग्रेस लगातार दो बार से इस सीट पर कब्जा बनाए हुए है, लेकिन बीजेपी भी इसे खोना नहीं चाहती। पार्टी एक बार फिर आक्रामक रणनीति और नए चेहरे के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। वहीं कांग्रेस अजीत शर्मा की लोकप्रियता और अपने परंपरागत वोट बैंक पर भरोसा कर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 के चुनाव में भागलपुर विधानसभा सीट पर जनता कांग्रेस के साथ अपना विश्वास बनाए रखती है या बीजेपी वापसी करने में सफल होती है।






















