Amarpur Vidhansabha 2025: बांका जिले की राजनीति में अमरपुर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 159) हमेशा से सुर्खियों में रही है। यह सीट 1957 में अस्तित्व में आई और तब से लेकर अब तक यहां 15 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि अमरपुर विधानसभा का चुनावी इतिहास लगातार उलटफेर और अप्रत्याशित नतीजों से भरा रहा है। यहां कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू तीनों ही दलों ने बारी-बारी से सत्ता का स्वाद चखा, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब तक इस सीट पर अपनी जीत का खाता नहीं खोल पाई है।
चुनावी इतिहास
अमरपुर में अब तक कांग्रेस ने 4 बार, आरजेडी ने 3 बार और जेडीयू ने 2 बार जीत दर्ज की है। पिछले दो चुनावों (2015 और 2020) में जेडीयू ने लगातार सफलता हासिल की, जिससे यह साफ है कि वर्तमान समय में इस सीट पर नीतीश कुमार की पार्टी का प्रभाव कायम है। 2010 में जेडीयू उम्मीदवार जनार्दन मांझी ने आरजेडी के सुरेंद्र प्रसाद सिंह को करीब 18 हजार वोटों से मात देकर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के राकेश कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। 2015 में भी जनार्दन मांझी ने अपनी जीत दोहराई और बीजेपी प्रत्याशी मृणाल शेखर को हराकर लगातार दूसरी बार विधायक बने। 2020 के चुनावों में जेडीयू के जयंत राज ने कांग्रेस के जितेंद्र सिंह को 3114 वोटों से हराकर विधानसभा पहुंचने का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी जीत ने जेडीयू की पकड़ और मजबूत कर दी।
जातीय समीकरण
अमरपुर विधानसभा की राजनीति पूरी तरह जातीय समीकरणों पर आधारित है। यहां मुस्लिम, राजपूत, कोइरी और यादव वोटरों की संख्या सबसे अधिक है, जबकि भूमिहार, ब्राह्मण, रविदास और कुर्मी समुदाय भी चुनावी नतीजों पर असर डालते हैं। यही वजह है कि हर चुनाव में समीकरण बदलते रहते हैं और पूर्वानुमान अक्सर गलत साबित होते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक, अमरपुर की आबादी 4,00,661 है। इनमें से 93.68% लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जबकि केवल 6.32% लोग शहरी इलाकों में बसते हैं। 2019 की वोटर लिस्ट के अनुसार, यहां कुल मतदाताओं की संख्या 2,89,171 है।
Sultanganj Vidhansabha 2025: जेडीयू का गढ़, कांग्रेस का ढलता सितारा और बदलता समीकरण
अमरपुर विधानसभा सीट को बांका जिले की राजनीति की धड़कन माना जाता है। यहां का चुनावी नतीजा अक्सर जिले और आसपास के इलाकों की राजनीतिक दिशा तय करता है। खास बात यह है कि भाजपा का अब तक यहां जीत हासिल न कर पाना स्थानीय राजनीति का सबसे अहम पहलू है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनावों में क्या बीजेपी इस अभिशाप को तोड़ पाएगी या फिर जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस जैसे दलों के बीच ही सत्ता की अदला-बदली जारी रहेगी।






















