Asthawan Vidhansabha 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीति में अस्थावाँ सीट (विधानसभा क्षेत्र संख्या-171) का अपना विशेष महत्व है। नालंदा जिले में आने वाली यह सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र से जुड़ी होने के कारण हमेशा चर्चा में रहती है। 1951 में पहली बार अस्तित्व में आई इस सीट पर कांग्रेस ने शुरुआती दौर में दबदबा बनाया था। हालांकि, 1980 के बाद से कांग्रेस का जनाधार यहां लगातार कमजोर होता चला गया और फिर उसे जीत का स्वाद नहीं मिला। दिलचस्प बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) आज तक इस सीट से चुनाव जीतने में नाकाम रही है।
चुनावी इतिहास
अस्थावाँ की राजनीति का असली केंद्रबिंदु जनता दल यूनाइटेड (JDU) और स्वतंत्र प्रत्याशी रहे हैं। यहां जनता ने तीन बार निर्दलीय उम्मीदवार रघुनाथ प्रसाद शर्मा पर भरोसा जताया, वहीं बीते चार चुनावों से जेडीयू के जितेंद्र कुमार लगातार जनता का विश्वास जीतते आ रहे हैं। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत रही है क्योंकि उनके पिता अयोध्या प्रसाद अस्थावाँ से विधायक रह चुके हैं।
Sheikhpura Vidhansabha 2025: बदलते समीकरणों में कौन करेगा बाज़ी?
2005 के चुनाव से पहले यहां किसी दल का स्थायी प्रभाव नहीं था। लेकिन नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद इस सीट पर जेडीयू का दबदबा स्थापित हो गया और आज यह सीट उनकी पार्टी की सबसे सुरक्षित सीटों में गिनी जाती है। पिछले पांच चुनावों में जेडीयू का लगातार विजय अभियान इस बात की गवाही देता है।
2015 के चुनाव में जितेंद्र कुमार ने एलजेपी के छोटे लाल को 9 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। 2020 में भी यह सिलसिला जारी रहा, जब उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अनिल कुमार को करीब 11,600 वोटों से शिकस्त दी। इन परिणामों से स्पष्ट है कि अस्थावाँ की जनता अभी भी जेडीयू पर अपना भरोसा कायम रखे हुए है।
जातीय समीकरण
अगर जातीय समीकरण की बात करें तो यह सीट कुर्मी बहुल मानी जाती है। यही वजह है कि अब तक ज्यादातर विधायक इसी जाति से आते रहे हैं। कुर्मी मतदाताओं के अलावा यादव, पासवान, भूमिहार और मुस्लिम वोटरों की संख्या भी यहां निर्णायक भूमिका निभाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र की आबादी 3,65,405 है। इनमें से 25.18 प्रतिशत अनुसूचित जाति (SC) और 0.07 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (ST) के लोग शामिल हैं।
अस्थावाँ विधानसभा की राजनीति का यह समीकरण साफ करता है कि यहां जातीय पहचान और नीतीश कुमार के गृह जिले का प्रभाव, दोनों ही कारक मिलकर जेडीयू को मजबूत बनाते हैं। ऐसे में आने वाले चुनावों में भी यह सीट राजनीतिक विश्लेषकों की नजरों में खास बनी रहेगी।






















