Kumhrar Vidhansabha 2025: बिहार की राजनीति में कुम्हरार विधानसभा सीट (संख्या-183) की पहचान एक निर्णायक और मजबूत गढ़ के रूप में होती है। यह सीट पटना जिले के सबसे महत्वपूर्ण शहरी इलाकों में आती है। 2008 में परिसीमन के बाद कुम्हरार सीट अस्तित्व में आई और तब से अब तक यहां तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन तीनों ही चुनावों में भाजपा ने जीत का परचम लहराया और विपक्षी दलों को पीछे छोड़ दिया।
चुनावी इतिहास
इस सीट का राजनीतिक इतिहास पटना मध्य विधानसभा से जुड़ा हुआ है। कभी यहां से बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता दिवंगत सुशील कुमार मोदी चुनाव लड़ते रहे थे। बांकीपुर और दीघा की तरह कुम्हरार भी परिसीमन की उपज है, लेकिन यहां भाजपा की पकड़ लगातार मजबूत रही है।
Digha Vidhan Sabha 2025: पटना की सबसे बड़ी राजनीतिक जंग, भाजपा बनाम महागठबंधन में टकराव तेज
2010, 2015 और 2020 – तीनों ही विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी अरुण कुमार सिन्हा ने विरोधियों को करारी शिकस्त दी। 2010 में उन्होंने एलजेपी उम्मीदवार मोहम्मद कमाल परवेज को हराया, 2015 में कांग्रेस के अकील हैदर को 37 हजार से अधिक वोटों के अंतर से मात दी और 2020 में राजद प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार को 26 हजार से अधिक वोटों से हराकर लगातार तीसरी बार सीट पर कब्जा जमाया। 2015 के चुनाव में अरुण कुमार सिन्हा को 56% वोट मिले थे, जो भाजपा के मजबूत संगठन और वोट बैंक की गवाही देते हैं।
जातीय समीकरण
कुम्हरार विधानसभा की सबसे बड़ी ताकत इसका जातीय समीकरण है। यहां चार लाख से अधिक मतदाता हैं जिनमें करीब एक लाख कायस्थ समुदाय से आते हैं। यही समुदाय भाजपा के पक्ष में लामबंद होकर उसकी जीत सुनिश्चित करता है। कायस्थों के साथ-साथ भूमिहार और अतिपिछड़ा वर्ग की भी बड़ी संख्या यहां मौजूद है, जो चुनावी गणित को और दिलचस्प बनाती है।






















