चुनाव आयोग आज राज्य की अंतिम मतदाता सूची (Bihar Final Voter List 2025) प्रकाशित करने जा रहा है। यह सूची “विशेष गहन पुनरीक्षण” यानी SIR (Special Intensive Revision) के तहत तैयार की गई है, जिसे लेकर राज्य की सियासत में घमासान मच गया है। विपक्षी दल इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन इसका बचाव कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने SIR रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “रिपोर्ट का आना अपेक्षित था, अब देखना है कि विपक्ष इस पर कितनी राजनीति करता है। अगर कोई त्रुटि होती है या कोई अच्छा सुधार हुआ है, तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह चुनाव आयोग की होगी।” उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यह केवल वोट बैंक की राजनीति है।
पासवान ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी बिहारी नागरिकों को किसी जाति, धर्म या श्रेणी में नहीं बांटा। “मेरे लिए हर बिहारी समान है। मैं हमेशा पहले बिहार की बात करता हूं, पहले बिहारी की बात करता हूं,” उन्होंने कहा। वहीं विपक्ष के बड़े चेहरे और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस प्रक्रिया को “चुनिंदा तौर पर पक्षपातपूर्ण” बताया है। हालांकि चिराग पासवान ने उनके बयान को सिरे से खारिज करते हुए इसे विपक्षी राजनीति की एक ‘प्रवृत्ति’ बताया।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पटना से सांसद रवि शंकर प्रसाद ने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा, “जब अंतिम सूची प्रकाशित की जा रही है, तब यह जरूरी है कि ऐसे नागरिक, जो अब जीवित नहीं हैं या दो जगहों पर दर्ज हैं या फिर घुसपैठिए हैं, उन्हें सूची से हटाया जाए।” उन्होंने इस मुद्दे को ‘लोकतंत्र की नींव’ से जोड़ते हुए कहा कि सूची की शुद्धता ही चुनाव की पारदर्शिता की गारंटी है।






















