बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आखिरकार अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी, लेकिन जैसे ही 71 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान हुआ, पार्टी के भीतर असंतोष खुलकर सामने आने लगा। पटना स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में लगातार दूसरे दिन टिकट बंटवारे के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुआ। टिकट से वंचित नेताओं और उनके समर्थकों ने कार्यालय के बाहर नारेबाजी और हंगामा कर माहौल गर्मा दिया।
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भाजपा के अंदरूनी असंतोष का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के ओबीसी मोर्चा के प्रदेश मंत्री धर्मेंद्र कुमार उर्फ अबोध साह ने नाराज होकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। धर्मेंद्र कुमार मुजफ्फरपुर की कुढनी विधानसभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। टिकट न मिलने पर उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपना त्यागपत्र सार्वजनिक कर दिया।

प्रदर्शनकारियों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और आरोप लगाया कि टिकट बंटवारे में पारदर्शिता नहीं बरती गई। उनका कहना है कि पार्टी ने पैसे और प्रभाव के दम पर कई बाहरी उम्मीदवारों को टिकट दे दिया, जबकि वर्षों से संगठन में मेहनत करने वाले पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कई सीटों पर ‘टिकट सेल’ जैसा माहौल बना हुआ है, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया है।
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भाजपा के लिए यह स्थिति तब और चुनौतीपूर्ण हो गई जब कई सीटों पर घोषित उम्मीदवारों के खिलाफ भी विरोध शुरू हो गया। पार्टी कार्यालय के बाहर समर्थक बैनर-पोस्टर लेकर पहुंचे और अपने पसंदीदा नेताओं को टिकट देने की मांग की। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस बल को तैनात करना पड़ा।






















