बिहार की राजनीति में रविवार को एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला। मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट विधानसभा क्षेत्र से चार बार के विधायक रह चुके महेश्वर राय और उनके बेटे प्रभात कुमार ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) से नाता तोड़ते हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का दामन थाम लिया। इस मौके पर तेजस्वी यादव ने खुद दोनों नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई और उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
यह घटनाक्रम महज़ दल-बदल नहीं, बल्कि गायघाट और आसपास की विधानसभा सीटों के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। दिलचस्प बात यह रही कि रविवार की दोपहर में ही जदयू ने महेश्वर राय और प्रभात कुमार समेत पांच नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया, और शाम होते-होते दोनों ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद की सदस्यता ले ली। राजनीतिक विश्लेषक इस घटनाक्रम को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले विपक्षी दलों के लिए “सियासी लाभ” के रूप में देख रहे हैं।
राजद में शामिल होने के कार्यक्रम के दौरान गायघाट के राजद प्रत्याशी निरंजन राय भी मौजूद थे। इस दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन की राजनीति समावेश और सम्मान की राजनीति है, जहां हर नेता और कार्यकर्ता को बराबरी का दर्जा दिया जाता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राजद का लक्ष्य केवल सत्ता प्राप्ति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और विकास को साथ लेकर चलना है।
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महेश्वर राय, जो अपने इलाके में एक सशक्त और प्रभावशाली चेहरे के रूप में जाने जाते हैं, चार बार विधायक रह चुके हैं और स्थानीय राजनीति में उनकी पकड़ मज़बूत मानी जाती है। उनके राजद में शामिल होने से गायघाट क्षेत्र में जातीय और संगठनात्मक संतुलन बदल सकता है। साथ ही उनके बेटे प्रभात कुमार के जुड़ने से पार्टी को युवा नेतृत्व और नई ऊर्जा मिलने की संभावना जताई जा रही है।
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि जदयू से बढ़ती नाराजगी, टिकट वितरण की अनिश्चितता और स्थानीय असंतोष ने महेश्वर राय को यह बड़ा कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। जदयू के लिए यह नुकसान केवल एक सीट या नेता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संकेत भी है कि पार्टी के भीतर असंतोष की लहर धीरे-धीरे उभर रही है।






















