Bihar EV Charging Station: बिहार में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर सरकार अब सिर्फ नीतियों तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि जमीन पर बड़ा बदलाव दिखाने की तैयारी में है। राज्य में ई-वाहनों के बढ़ते चलन और पर्यावरण संरक्षण की जरूरत को देखते हुए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को तेज़ी से विस्तार दिया जा रहा है। इसी कड़ी में पटना में 300 और पूरे बिहार में 1500 से अधिक नए चार्जिंग स्टेशन बनाने का फैसला लिया गया है। यह जानकारी उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने पटना में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान दी।
उपमुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत और परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में साफ कहा कि आने वाले वर्षों में परिवहन का भविष्य इलेक्ट्रिक है और अगर आज तैयारी नहीं की गई तो बिहार पीछे रह जाएगा। उन्होंने बताया कि चार्जिंग स्टेशन सिर्फ सरकारी परिसरों तक सीमित नहीं होंगे, बल्कि आम लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पेट्रोल पंपों, रेस्टोरेंट, ढाबों, नगर निगम परिसरों, पथ निर्माण विभाग और अन्य सरकारी व निजी संस्थानों के माध्यम से इन्हें स्थापित किया जाएगा।
सरकार का फोकस खासतौर पर नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे पर है, जहां हर चार से पांच किलोमीटर की दूरी पर चार्जिंग स्टेशन विकसित करने की योजना है। इससे लंबी दूरी की यात्रा करने वाले इलेक्ट्रिक वाहन चालकों को चार्जिंग को लेकर चिंता नहीं करनी पड़ेगी। अधिकारियों के अनुसार यह मॉडल बिहार को EV फ्रेंडली राज्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
फिलहाल राज्य में 521 सार्वजनिक स्थलों पर चार्जिंग स्टेशन चालू हैं और लोग इनका सक्रिय रूप से उपयोग भी कर रहे हैं। लेकिन पिछले पांच वर्षों में बिहार में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री जिस तेजी से बढ़ी है, उसने मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ा दिया है। आंकड़ों के मुताबिक पांच साल में दो लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन बिक चुके हैं, जिनमें ई-रिक्शा, इलेक्ट्रिक स्कूटर, बाइक और कारें शामिल हैं।
सरकार का मानना है कि चार्जिंग नेटवर्क के विस्तार से न सिर्फ EV की बिक्री को और बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रदूषण में कमी, ईंधन आयात पर निर्भरता घटाने और स्थानीय रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी। समीक्षा बैठक में यह भी संकेत दिए गए कि आने वाले समय में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन योजनाओं पर भी विचार किया जा सकता है।
















