[Team insider] राज्य में पंचायत चुनाव कराने को लेकर कवायद तेज हो गयी। राज्य सरकार चुनाव कराने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। वहीं ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि 15 अप्रैल तक पंचायत चुनाव की घोषणा हो सकती है और राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत अप्रैल-मई में 5 चरणों में चुनाव कराए जा सकते हैं। वहीं राज्य के सभी जिलों में तैयारी जारी है, जिन जिलों में चुनाव संबंधित कुछ तैयारियां बाकी हैं उन्हें 6 अप्रैल तक दुरुस्त करने को कहा गया है। अगर किसी जिले में कुछ आवश्यकता है तो प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया है संबंधित जिलों को 6 अप्रैल तक हर हाल में प्रस्ताव भेज देने का निर्देश भी दिया गया है।
राज्यपाल के अनुमोदन के बाद जारी होगी अधिसूचना
चुनाव को लेकर शुक्रवार को राज निर्वाचन आयुक्त डीके तिवारी ने सभी जिलों के डीसी और एसपी के साथ बैठक की और तैयारियों की भी समीक्षा की। वहीं अब राज्यपाल के अनुमोदन के बाद जल्द ही अधिसूचना जारी होगी। राज्य सूचना आयुक्त डीके तिवारी ने सभी जिलों के उपायुक्तों से कहा है कि वाहन मालिकों और संगठनों के साथ बैठक कर वहन लेने के संबंध में निर्णय लें और ध्यान दिया जाए कि आम नागरिकों को ज्यादा परेशानी नहीं है। वहीं बैठक में पंचायती राज विभाग के पत्र के आलोक में बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने पर भी बात हुई, विभाग में अथवा रूप में महिला या अन्य जिसके लिए जो अधिसूचित पद है। उसे खुली श्रेणी के सीटों के रूप में मानते हुए चुनाव कराने का निर्देश दिया है।
केंद्र से अतिरिक्त सुरक्षा बल मिलने की संभावना कम
पंचायत चुनाव में राज्य पुलिस बल भी तैनात रहेंगे क्योंकि केंद्र से अतिरिक्त सुरक्षा बल मिलने की संभावना कम है। वहीं नक्सली मुठभेड़ की संभावना को देखते हुए मेडिकल व्यवस्था हेलीपैड और में हेलीकॉप्टर की आवश्यकता पर ध्यान दिया जाए। ड्रोन और वायरलेस हेडफोन सही प्रयोग करने को कहा गया है।
इससे पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव संपन्न कराने को लेकर निर्वाची पदाधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोग कार्यालय में 23 से 25 फरवरी तक आयोजित किया गया था, जिसमें पंचायत पर्यवेक्षकों को ट्रेनिंग भी दिया गया था।
सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे
हेमंत सरकार चाहती थी कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू कर दिया जाए, लेकिन अभी ऐसा नहीं कर सकी है। वहीं आजसू पार्टी ने बगैर ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किये चुनाव कराने का विरोध किया है। इसे लेकर गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गये हैं। वहां उन्होंने याचिका दाखिल कर दी है। इसमें पंचायत चुनाव में आरक्षण सुनिश्चित किये जाने की मांग की है। झारखंड सरकार बगैर आरक्षण के ही चुनाव कराना चाहती है। याचिका में झारखंड सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को प्रतिवादी बनाया गया है।
सरकार दो बार पंचायती राज व्यवस्था को दे चुकी है विस्तार
बता दें कि झारखंड में ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2020 में ही पूरा हो चुका था। कोविड-19 महामारी की वजह से पैदा हुई विषम परिस्थितियों की वजह से राज्य की सरकार दो बार पंचायती राज व्यवस्था को विस्तार दे चुकी है। पंचायतों को दूसरी बार विस्तार देने के लिए राज्य सरकार को झारखंड विधानसभा में विगत मानसून सत्र के दौरान विधेयक पारित कराना पड़ा था।