[Team insider] राज्य के पेयजल और स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर की कंपनी पर सरकारी ठेका लेने के आरोप में उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की शिकायत पर भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त से की गई है। रिपोर्ट की माने तो मिथिलेश ठाकुर जिस कंपनी में पार्टनर हैं व कंपनी सरकारी ठेके लेती है लेकिन 2019 के बाद भी वह मंत्री के पद पर भी रहे और कंपनी के पार्टनर भी बने रहे 23 मार्च को RTI एक्टिविस्ट सुनील महतो द्वारा मंत्री मिथिलेश ठाकुर को अयोग्य घोषित करने को लेकर बिंदुवार शिकायत की गयी है।
आरोप में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव– 2019 में गढ़वा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित मिथिलेश कुमार ठाकुर का निर्वाचन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 9A के दायरे में है। उनकी सदस्यता समाप्त करने योग्य है।
आम चुनाव 2019 में गलत तरीके से छिपायी थी कई जानकारियां
चुनाव आयोग को लिखे पत्र में सुनील महतो ने कहा था कि आम चुनाव 2019 में गलत तरीके से मिथिलेश ठाकुर ने कई जानकारियां छिपायी थी। निर्वाचन को लेकर दायर फार्म 26 में मिथिलेश ठाकुर ने चाईसा के अमला टोला की कंपनी सत्यम बिल्डर्स में पार्टनर थे। सत्यम बिल्डर्स द्वारा सरकार की कई संविदा में हिस्सा लिया गया था। सत्यम बिल्डर्स को सरायकेला खरसांवा में 8.18 करोड़ की लागत से पुल निर्माण का काम दिया गया था। इसके लिए 21 मई 2013 को पथ निर्माण विभाग के साथ समझौता किया गया था।
सत्यम बिल्डर्स के साथ एकरारनामा रद्द कर दिया गया
इसी प्रकार बिहार सरकार की कंपनी बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड के साथ तिरहुत पूर्वी प्रमंडल के लिए कई भवनों का काम मिला था। 16 अगस्त 2021 को समय पर काम पूरा नहीं होने पर सत्यम बिल्डर्स के साथ एकरारनामा रद्द कर दिया गया था। चक्रधरपुर में 9.36 करोड़ की लागत से नगर परिषद भवन कार्यालय और कोल्हान विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम का काम भी सत्यम बिल्डर्स को दिया गया था।