[Team insider] प्रदेश भाजपा ने आज राज्य की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ निर्वाचन आयोग पहुंचकर शिकायत दर्ज कराया। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय पर पंचायत चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के लिये एफआईआर दर्ज करने और पंचायत चुनाव सम्पन्न होने तक उन्हें झारखंड आने से रोक लगाने की मांग की। भाजपा प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू,प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ,प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी,अविनेश कुमार सिंह एवम प्रदेश सह मीडिया प्रभारी योगेंद्र प्रताप सिंह,विधि प्रकोष्ठ के अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव शामिल थे।
पूरी तरह से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन
ज्ञापन में पार्टी ने कहा कि बुधवार को राजधानी रांची में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय की उपस्थिति में कांग्रेस पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक के उपरांत अविनाश पांडेय ने जो घोषणा की वह पूरी तरह से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
भाजपा ने अखबारों में प्रमुखता से छपी खबरों का हवाला देते हुए अविनाश पांडेय के बयानों की पुष्टि की जिसमे उन्होंने घोषणा की है कि “कांग्रेस का प्रयास होगा कि पंचायत चुनाव में जीत कर आये जन प्रतिनिधियों को पार्टी में जगह दी जाएगी ,ताकि जनप्रतिनिधियों के अनुभवों का उपयोग संगठन की मजबूती में किया जा सके।” यह घोषणा तब हुई जब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चरम पर है। अतः इस प्रकार की घोषणा सीधे तौर पर न सिर्फ प्रत्याशियों को बल्कि मतदाताओं को भी लोभ, लालच देने के जैसा है। यह चुनाव आचार संहिता का घोर उल्लंघन है।
चुनाव दलगत आधार पर नहीं हो रहे हैं: राकेश सिन्हा
वही इस पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने तंज कसते हुए कहा कि ‘‘भाजपा अब हशुआ के बियाह में खुरपी की गीत गा रही है’’। सिन्हा ने कहा कि भाजपा के लोगों को इतनी समझ होनी चाहिए कि भले ही चुनाव दलगत आधार पर नहीं हो रहे हैं, लेकिन पंचायत चुनाव हर राजनैतिक दल के कार्यकर्ता या उसके समर्थित लोग लड़ रहे हैं। ऐसे में अगर हम यह कहते हैं कि पंचायत चुनाव जीतने वाले लोगों को संगठन में जगह देकर उनके अनुभव को हम राज्य हित में साझा करेंगे, तो यह आचार संहिता उल्लंघन का मामला कहां है।
सिन्हा ने कहा कि अगर लोकतंत्र में विपक्ष स्वस्थ भूमिका का निर्वहन करता है, तो लोकतंत्र मजबूत होता है, लेकिन दुख है कि भाजपा चाहे देश हो या प्रदेश न तो लोकतंत्र को मजबूत करना चाहती है और न हीं स्वच्छ राजनीति परम्पराओं का निर्वहन करना चाहती है।