दानापुर थाना क्षेत्र के निवासी सचिन कुमार सिंह (पिता- उमाशंकर सिंह) को नौकरी दिलाने के बहाने म्यांमार ले जाकर बंधक बनाए जाने का मामला सामने आया था। इस संबंध में उनकी मां मीना देवी के आवेदन पर दानापुर थाना में कांड संख्या-665/25 दिनांक 26 जून 2025 दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में नेपाल और सीतामढ़ी के कुछ आरोपितों के साथ-साथ म्यांमार की संदिग्ध कंपनी सहाय ग्रुप के एचआर को नामजद किया गया। मामले की जांच कर रही एसआईटी ने कार्रवाई करते हुए प्रमुख अभियुक्त सुनील कुमार (पिता- शिवशंकर राम, निवासी- सीतामढ़ी) को गिरफ्तार कर लिया।
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जांच में पता चला कि सचिन को छुड़ाने के बदले उसके भाई साहिल कुमार सिंह से 1.5 लाख रुपये वसूले गए, जो सीतामढ़ी के एक बैंक खाते में जमा कराए गए थे। इसके साथ ही परिजनों को प्रताड़ना व मारपीट के फोटो भेजे जाते थे और 5,000 डॉलर की फिरौती मांगी जाती थी। रकम नहीं देने पर शरीर के अंग बेचने और हत्या करने की धमकी दी जाती थी।मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना पुलिस ने भारतीय दूतावास (म्यांमार और थाईलैंड) से लगातार संपर्क साधा। दूतावास की कोशिशों और म्यांमार पुलिस के सहयोग से सचिन को साइबर स्कैम सेंटर से छुड़ाकर वहां की मिलिट्री कैंप में सुरक्षित रखा गया। बाद में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने उसे भारत लाकर परिजनों को सौंप दिया।
स पूछताछ में सचिन ने बताया कि वह कंप्यूटर साइंस इंजीनियर है और पूर्व में रांची से साइबर फ्रॉड गतिविधियों में शामिल रहा है। उसके खिलाफ 12 लाख रुपये की ठगी का मामला भी दर्ज है। बेहतर नौकरी और वर्क वीजा के लालच में वह म्यांमार पहुंचा, जहां उसे जबरन साइबर स्कैम सेंटर में बेच दिया गया और ठगी के काम में लगाया गया। इस दौरान उसे शारीरिक और मानसिक यातनाएँ भी झेलनी पड़ीं। लगातार प्रयास और अंतरराष्ट्रीय समन्वय के कारण पटना पुलिस और भारतीय दूतावास ने सचिन कुमार सिंह की सकुशल वापसी सुनिश्चित की। वहीं, इस मामले में शामिल अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी और पूछताछ की कार्रवाई जारी है।






















