रांची: राजनीतिक तवे पर रोटी बराबर सिंक रही है। झारखंड में चुनाव को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी अपने उच्चतम अवस्था पर पहुंच चुका है। हाल ही में चुनाव आयोग से हिमंता बिस्व सरमा और शिवराज सिंह चौहान के लिए सरकार की ओर से शिकायत दर्ज की गयी थी। इसमें इन दोनों नेताओं पर समाज को बांटने व साम्प्रदायिक माहौल बनाने का आरोप लगाया गया था। इसे लेकर विपक्ष में बैठी भाजपा ने भी हेमंत सरकार पर जमकर हमला बोला है। नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी सुनिश्चित हार को देखते हुए बौखला गए हैं। सीएम अब झारखंड के पदाधिकारियों को आगे कर लोकतंत्र की मर्यादा को तार तार कर रहे। अमर ने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है न कि राजतंत्र।
एक राजनीतिक नेता, कार्यकर्ता देश के किसी हिस्से में जाकर अपने दल की बात रख सकता है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंता बिश्व सरमा को भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी एवम सह प्रभारी बनाया है। इसी क्रम में अपने दायित्वों के निर्वहन में दोनों नेता गण झारखंड के प्रवास पर आ रहे। सरकार को घेरते हुए नेता प्रितपक्ष ने कहा कि भाजपा पिछले 5 वर्षों से हेमंत सरकार की विफलताओं, लूट, झूठ, भ्रष्टाचार को उजागर कर रही है। बांग्लादेशी घुसपैठियों से राज्य की बदलती डेमोग्राफी के मुद्दे को उच्च न्यायालय ने भी गंभीरता से लिया है साथ ही राज्य सरकार को कड़े निर्देश भी दिए हैं।
चाहे युवाओं के रोजगार का मामला हो या बेरोजगारी भत्ता का, किसानों, महिलाओं के लिए लिए गए वादों का सभी में यह सरकार भाजपा के सवालों का जवाब नहीं दे पा रही। लव जिहाद, लैंड जिहाद के कारण आदिवासियों की जमीन घुसपैठिए छीन रहे। एक आदिवासी मुख्यमंत्री के रहते आदिवासी की जमीन घुसपैठियों के कब्जे से कोर्ट के आदेश के बावजूद वापस नहीं कराई जा रही, राज्य की अस्मिता खतरे में है, राज्य सरकार तुष्टिकरण और वोट बैंक के कारण चुप चाप बैठी है। अपराधियों, घुसपैठियों का संरक्षण कर रही है। बताते चलें कि बीते दिनों झारखंड सरकार ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की है। झारखंड सरकार का आरोप है कि हिमंता बिस्वा सरमा और शिवराज सिंह चौहान झारखंड के विभिन्न समुदायों के बीच में नफरत फैला रहे हैं।
इसके साथ ही सरकार ने आरोप लगाया कि वे झारखंड के अफसरों को धमका भी रहें है। इसे लेकर सरकार के प्रधान सचिव वंदना डाडेल ने दो सितंबर को लिखे पत्र में कहा है कि हिमंता बिस्वा सरमा ने झूठे बयान दिये। क्या यह राज्य, राज्य के शीर्ष अफसरों और सरकारी पदाधिकारियों का चरित्र हनन नहीं है? मालूम हो कि शिवराज सिंह चौहान झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी हैं, जबकि हिमंता सह प्रभारी। बीते दो माह से दोनों नेता लगातार झारखंड आ रहे हैं साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों में भाग भी लेते हैं और लोगों से मिल रहे हैं। इसे लेकर ही नेता प्रतिपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हेमंत सरकार पर आरोपों की बौछार करते हुए कहा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री को अपने देश में पाकुड़ जिला के गोपीनाथपुर जाने से रोका जाता है। उत्पाद सिपाही दौड़ में 16 युवाओं की असामयिक मृत्यु हो गई और सरकार संवेदनहीन बनी हुई है।
मृतकों के परिजनों तक आज तक सरकार नही पहुंची। भाजपा ने 50लाख रुपए सहायता और एक सरकारी नौकरी की मांग की उस पर भी सरकार मौन है। जब इन सभी मुद्दों को गंभीरता पूर्वक प्रदेश भाजपा शिवराज सिंह चौहान और हिमंत विश्वा सरमा के मार्गदर्शन में जनता के बीच ले जा रही तो राज्य सरकार बौखलाहट में उल्टे निर्णय ले रही। भाजपा एक सशक्त विपक्ष के नेता जन भावनाओं के अनुरूप जनता की आवाज बनी है। जनता ने लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए को बड़ा समर्थन दिया है। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को जिताने के लिए संकल्पित है। अगर राज्य सरकार को लगता है कि जनता के मुद्दों को उठाना लोकतंत्र में विधि विरुद्ध है। आदिवासी, मूलवासी, महिला, दलित, पिछड़ा वर्ग की बात करना विधि विरुद्ध है तो फिर राज्य सरकार को दोनों नेताओं पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए। चुनाव आयोग में रोना रोने से क्या होगा।