बुलढाणा: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगांव तहसील में एक बार फिर रहस्यमयी स्वास्थ्य संकट ने दस्तक दी है। पहले ‘गंजा वायरस’ के नाम से चर्चित बाल झड़ने की समस्या और अब अचानक नाखून गिरने की घटनाओं ने इलाके में दहशत फैला दी है। शेगांव तहसील के करीब 15 गांवों में यह नई समस्या सामने आई है, जिसके बाद स्थानीय लोग और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गए हैं।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, यह परेशानी पहली बार दिसंबर 2024 में तब सामने आई थी, जब बोंडगांव सहित आसपास के गांवों में करीब 300 ग्रामीणों ने अचानक तेजी से बाल झड़ने की शिकायत की थी। इस स्थिति को चिकित्सा विशेषज्ञों ने ‘तीव्र शुरुआत एलोपेसिया टोटलिस’ का नाम दिया था। अब उसी क्षेत्र में कई लोगों के नाखून विकृत होने और पूरी तरह से गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसने ग्रामीणों की चिंता को और बढ़ा दिया है।
बुलढाणा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ. अनिल बांकर ने इस नई समस्या की पुष्टि करते हुए बताया, “हमें चार गांवों में 29 लोगों में नाखूनों की विकृति के मामले मिले हैं। कुछ लोगों के नाखून पूरी तरह से अलग हो गए हैं। प्रभावित लोगों को प्रारंभिक उपचार दिया गया है और शेगांव अस्पताल में उनकी विस्तृत जांच की जाएगी।” वहीं, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमोल गीते ने बताया कि प्रारंभिक जांच में बाल और नाखून झड़ने की वजह सेलेनियम का बढ़ा हुआ स्तर हो सकता है। उन्होंने कहा, “हम अगले कुछ दिनों में विस्तृत परीक्षणों के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं, जो इस समस्या की वजह को स्पष्ट करेंगे।”
इससे पहले बाल झड़ने की घटनाओं की जांच कर चुके पद्मश्री सम्मानित डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने इस मामले में अहम खुलासा किया था। डॉ. बावस्कर, जो अब रायगढ़ जिले के महाड में रहते हैं, ने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए इन गांवों में आपूर्ति किए गए गेहूं में सेलेनियम की मात्रा सामान्य से 600 गुना अधिक पाई गई। यह गेहूं पंजाब और हरियाणा से मंगवाया गया था। उन्होंने कहा, “उच्च सेलेनियम स्तर और शरीर में जिंक की कमी इस स्वास्थ्य संकट की मुख्य वजह हो सकती है।” डॉ. बावस्कर ने अपनी जांच में पाया कि बोंडगांव के सरपंच सहित कई ग्रामीणों ने इस गेहूं के सेवन के बाद बाल झड़ने की शिकायत की थी।
यह पहली बार नहीं है जब सेलेनियम की अधिकता के कारण ऐसी समस्याएं सामने आई हैं। साल 2000 की शुरुआत में पंजाब के होशियारपुर और नवांशहर जिलों में भी इसी तरह की घटनाएं देखी गई थीं, जहां शिवालिक पहाड़ी क्षेत्र से आए बाढ़ के पानी में सेलेनियम की अधिकता के कारण स्थानीय फसलों पर असर पड़ा था, जिसके बाद लोगों में बाल झड़ने की समस्या देखी गई थी। डॉ. बावस्कर का मानना है कि संभवतः ऐसी ही सेलेनियम युक्त जमीनों से गेहूं अनजाने में राशन की दुकानों तक पहुंच गया।
शेगांव और बोंडगांव के ग्रामीण इस नई बीमारी से सहमे हुए हैं। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “पहले बाल गिरने की वजह से हम परेशान थे, अब नाखून भी गिर रहे हैं। हमें समझ नहीं आ रहा कि यह बीमारी क्या है और इसका इलाज कैसे होगा।” स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि जल्द ही इस मामले में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, बुलढाणा के इस स्वास्थ्य संकट ने एक बार फिर राशन वितरण प्रणाली में गुणवत्ता नियंत्रण और खाद्य सुरक्षा के सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में गहन जांच और त्वरित कार्रवाई की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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