16 साल तक बच्चे के इंतजार में रही महिला को एनएमसीएच की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलू प्रसाद ने खुशी का एक सुनहरा मौका जुड़वा बच्चे के साथ दे दिया। इस खुशी को केक काटकर मनाया गया। बक्सर की रहने वाली इस महिला, जिसकी शादी को 16 साल से ज्यादा का समय बीत चुका था, अबतक बच्चा नहीं हुआ था। उन्होंने आसपास के कई डॉक्टरों से परामर्श ली। कई अस्पतालों में इलाज कराया। यहां तक की कई आईवीएफ सेंटरों पर भी गए मगर कोई लाभ नहीं हुआ। गर्भाशय छोटे आकार (इन्फेंटाइल यूट्रस) का होने से कहीं बच्चा नहीं ठहर पा रहा था। इसके बाद वह एनएमसीएच की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलू प्रसाद के पास पहुंची। डॉ. प्रसाद की देखरेख में आस्थालोक हॉस्पिटल में उनका इलाज शुरू हुआ।
डॉ. प्रसाद ने उनकी बच्चेदानी को बड़ा करने के लिए तीन महीने तक हार्मोनल ट्रीटमेंट पर रखा। जिसमें दवा के जरिए उनके बच्चेदानी के आकार को बड़ा करने की कोशिश की गयी। यह कोशिश सफल रही। उसके बाद आईवीएफ के जरिए विशेष तकनीक से गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू की गयी। इस प्रक्रिया के बाद महिला ने सफलतापूर्वक जुड़वा बच्चा गर्भ में धारण किया। इसे बड़ी सावधानी से साढ़े आठ महीने तक ले जाया गया। इस दौरान नियमित अंतराल पर दवाई और जांच चलती रही। इसके बाद ऑपरेशन से जुड़वा बच्चे को जन्म दिया गया। इनमें एक लड़का और एक लड़की थी। दोनों बच्चे बिल्कुल स्वस्थ्य जन्म लिए। उनमें सभी स्वाभाविक गुण सामान्य रूप से थे। अब जच्चा-बच्चा सभी स्वस्थ्य हैं। महिला के पूरे परिवार में खुशी का माहौल है।
डॉ. नीलू प्रसाद ने कहा कि इन्फेंटाइल यूट्रस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय सामान्य से छोटा होता है। यह गर्भावस्था को कठिन बना सकता है, लेकिन यह असंभव नहीं है। हार्मोनल ट्रीटमेंट और आईवीएफ तकनीक के माध्यम से, ऐसी महिलाएं भी गर्भवती हो सकती हैं और स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती हैं। यह मामला उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो छोटे गर्भाशय के कारण मां बनने की उम्मीद खो चुकी हैं।