किशनगंज में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बिहार सरकार और खनन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार में अधिकारियों की तानाशाही अपने चरम पर है, विशेषकर सीमांचल क्षेत्र में, जहां गरीब किसान और मजदूर शोषण का शिकार हो रहे हैं।
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अख्तरुल ईमान ने आरोप लगाया कि किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिलों में खनन विभाग के अधिकारी गरीब किसानों और मजदूरों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह क्षेत्र हर साल बाढ़ और कटाव से प्रभावित होता है, जहां लोगों के घर और जमीनें कटती हैं। ऐसे में, अगर कोई किसान अपनी ज़मीन से निजी उपयोग के लिए मिट्टी निकालता है, तो खनन विभाग उसे अवैध करार दे देता है और लाखों रुपये का जुर्माना लगा देता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2019 के खनन नियमावली के तहत निजी उपयोग के लिए मिट्टी निकालने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन विभागीय अधिकारी इसके बावजूद नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
विभाग के प्रधान सचिव से की शिकायत
अख्तरुल ईमान ने अपनी शिकायत लेकर खनन और भूतत्व विभाग के प्रधान सचिव नर्मदेश्वर लाल से मुलाकात की और सीमांचल क्षेत्र में हो रही इन ज्यादतियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने प्रधान सचिव को एक चिट्ठी सौंपते हुए मांग की कि तानाशाही रवैये वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और खनन नियमावली को सही तरीके से लागू किया जाए। इसके बाद प्रधान सचिव ने मामले की जांच और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
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सीमांचल क्षेत्र की स्थिति की तुलना अंग्रेजों के दौर से करते हुए ईमान ने कहा, “यह इलाका हमेशा से उपेक्षित रहा है। अंग्रेजों के समय में यहां के किसान और मजदूर काला पानी के शोषण का शिकार थे, और अब नीतीश कुमार के शासन में भी हालात वही हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह क्षेत्र बिहार का सबसे पिछड़ा और गरीब इलाका है, जहां सरकारी तंत्र द्वारा लोगों का शोषण किया जा रहा है।

अख्तरुल ईमान ने चेतावनी दी कि अगर खनन विभाग के अधिकारियों की तानाशाही बंद नहीं हुई, तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर अधिकारियों ने खनन नियमावली का उल्लंघन किया और किसानों पर जुर्माना लगाया, तो या तो सरकार कार्रवाई करे या फिर आम नागरिक उन्हें न्यायालय में घसीटेंगे।