समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग और केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग निष्पक्ष तरीके से काम करने के बजाय भाजपा के इशारे पर फैसले ले रहा है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है। अखिलेश यादव ने बिहार की विपक्षी पार्टियों की उस आशंका को सही ठहराया, जिसमें कहा गया है कि वोटर लिस्ट में भेदभाव किया जा सकता है।
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अखिलेश यादव जी ने बिना लाग लपेट के साफ साफ दो टूक शब्दों में कहा कि चुनाव आयोग को भाजपा के इशारे पर काम करने से परहेज करना चाहिए। इस पूरे तिकड़म में भाजपा की गरीब व बहुजन मतदाता विरोधी साजिश है। चुनाव आयोग में विभिन्न पदों पर बैठे अधिकारियों को यह स्मरण रखना चाहिए कि चुनाव आयोग की एक मर्यादा है, गरिमा है, लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति दायित्व है, संवैधानिक कर्तव्य है तथा उनसे निष्पक्षता की जन-जन को अपेक्षा है।

सपा मुखिया ने सवाल उठाया कि आठ करोड़ वोटरों की लिस्ट केवल 20 से 25 दिन में कैसे तैयार की जा रही है? यह प्रक्रिया छह महीने पहले क्यों नहीं शुरू की गई? उन्होंने इसे भाजपा की सोची-समझी रणनीति बताया और कहा कि चुनाव आयोग की यह जल्दबाजी और पक्षपातपूर्ण रवैया चुनावी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है, जिससे जनता का भरोसा कमजोर हो सकता है।
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उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के वर्तमान अधिकारियों को चुनाव आयोग की पूरी छवि को धूमिल करने का कोई अधिकार नहीं है। और ना ही उन्हें गरीब नागरिकों के मताधिकार और भारतीय लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने का हक है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को चुनाव आयोग सबसे भ्रष्ट लोकतंत्र में परिवर्तित करने पर मानो तुल ही गई है।